- कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिया इस्तीफा, उनके कई समर्थकों ने छोड़ी पार्टी
- कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार संकट में
- बीजेपी ने 19 कांग्रेसी विधायकों का इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा
नई दिल्ली। जिस तरह से कांग्रेस से इस्तीफा दौर जारी है उससे साफ है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार का बच पाना नामुमकिन है। अब तक 22 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं और बीजेपी का दावा है कि यह संख्या 30 तक जा सकती है। कमल नाथ सरकार के जाने की पटकथा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लिखी जिनके बीजेपी में जाने की संभावना है। अगर कमल नाथ सरकार गिर जाती है को तो यह दूसरा ऐसा मौका होगा जब सिंधिया परिवार की अनदेखी कांग्रेस को भारी पड़ेगी। सवाल यह है कि आखिर वो कौन सा साल था जब कांग्रेस की कुछ इसी तरह के हालात का सामना करना पड़ा था।
1967 में विजयाराजे सिंधिया ने लिखी थी पटकथा
करीब 53 साल पहले 1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत हासिल हुआ था और डीपी मिश्रा मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन बाद में कांग्रेस के 36 विधायकों ने विजयाराजे के प्रति अपनी वफादारी जाहिर करते हुए विपक्ष से मिले और उसका असर यह हुआ कि डी पी मिश्रा को इस्तीफा देना पड़ा था।
इसका अर्थ यह है कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया की वजह से कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई थी और अब 2020 में उनके पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से कमलनाथ सरकार सत्ता से बेदखल हो रही है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया में 1967 में विजयाराजे ने कांग्रेस को अलविदा कहकर लोकसभा चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर लड़ा और जीत दर्ज की।
'सिंधिया परिवार सत्ता का भूखा नहीं'
मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे आर्यमन सिंधिया ने कहा कि उनके पिता सत्ता के भूखे नहीं है। वो आम जन के विकास की राजनीति करते हैं। लेकिन जब उनके सराकारों को पार्टी के स्तर पर सम्मान नहीं मिलेगा तो फैसला करना ही पड़ता है। पिछले 18 वर्षों तक उन्होंने बिना किसी स्वार्थ की सेवा की। लेकिन उन्हें क्या कुछ हासिल हुआ किसी से कुछ छिपा नहीं है। सोनिया गांधी के भेजे इस्तीफे में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन हालातों का जिक्र किया है जिसकी वजह से फैसला करना पड़ा।