श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में पिछले साल जैश-ए-मोहम्मद की ओर से किए गए आत्मघाती हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे। यह सीआरपीएफ या भारतीय सुरक्षाबलों पर हुए सबसे बड़े हमलों में से एक है। जहां देश के वीर सपूतों ने अपनी जान गंवाई थी। सीआरपीएफ के लिए यह एक यादगार पल है और शायद ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल कभी इस दर्द को भुला पाएगा। 14 फरवरी 2019 को हुए आत्मघाती आतंकी हमले में जान गंवाने वाले जवानों की पहली बरसी पर सीआरपीएफ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेगा।
पुलवामा की पहली बरसी पर शुक्रवार को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक शहीद स्तंभ सीआरपीएफ जवानों को समर्पित किया जाएगा। इस मौके पर सीआरपीएफ के विशेष महानिदेशक जुल्फिकार हसन, महानिरीक्षक कश्मीर क्षेत्र राजेश कुमार, और वरिष्ठ अधिकारी व अन्य बल के जवान पुलवामा में सीआरपीएफ प्रशिक्षण केंद्र, लेपोरा में जवानों को श्रद्धांजलि देंगे।
यहां एक समारोह का आयोजन किया जाएगा जिसमें अपना कर्तव्य निभाते हुए जान गंवाने वालों की याद में एक समर्पित शहीद स्तंभ का उद्घाटन समारोह में किया जाएगा।
रिपोर्ट्स के अनुसार जुल्फिकार हसन ने इस बारे में बोलते हुए कहा, 'यह एक सम्मान समारोह होने जा रहा है, पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों के नाम के साथ शहीद स्तंभ का उद्घाटन किया जाएगा। लेपोपोरा में एक रक्तदान शिविर भी आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जवानों के परिवारों को आमंत्रित नहीं किया गया है, उनके घरों पर निजी संभावित कार्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया गया है।'
शहीद के दर्जे की मांग: गौरतलब है कि इस बीच सीआरपीएफ जवानों का अपना दर्द है और इसकी एक खास वजह है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह मांग बीते लंबे समय से उठती रही है कि किसी भी हमले में मारे गए CRPF जवान को शहीद का दर्जा मिले। गौरतलब है कि फिलहाल सीआरपीएफ जवानों के जान गंवाने पर उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता है।
सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी या अन्य पैरामिलिट्री फोर्स के जवान अगर ड्यूटी के दौरान मारे जाते हैं तो उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिलता है। वहीं थल सेना, नौसेना या वायुसेना के जवान ड्यूटी के दौरान जान गंवाते हैं तो उन्हें शहीद का दर्जा मिलता है।