- किसान संगठनों ने तय की गयी शर्तों का पालन नहीं किया: दिल्ली पुलिस प्रमुख
- पुलिस के पास कई कई विकल्प थे, लेकिन वह शांत रही: दिल्ली पुलिस प्रमुख
- किसान नेताओं ने धोखा देने का काम किया, कार्रवाई की जाएगी: कमिश्नर
नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि 2 जनवरी को दिल्ली पुलिस को ज्ञात हुआ कि किसान 26 को ट्रैक्टर रैली करने जा रहे है। हमने किसानों से कहा कि कुंडली, मानेसर, पलवल पर ट्रैक्टर मार्च निकाले। लेकिन किसान दिल्ली में ही ट्रैक्टर रैली निकालने पर अडिग रहे। दिल्ली के लोगों की सुरक्षा के हितों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया कि कुछ नियम और शर्तें लागू की जाएं, यह उन्हें लिखित रूप में दिया गया था कि रैली दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी, इसका नेतृत्व किसान नेताओं को करना था और नेताओं को अपने समूहों के साथ होना चाहिए।
394 पुलिसकर्मी घायल हुए, कई ICU में
उन्होंने कहा, 'ट्रैक्टर रैली दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे के बीच होनी थी और किसान संगठनों ने इसके लिए तय की गयी शर्तों का पालन नहीं किया। 25 जनवरी की देर शाम तक यह सामने आया कि वे (किसान) अपनी बात नहीं रख रहे थे। वे आक्रामक और उग्रवादी तत्वों को सामने लाए जिन्होंने मंच पर कब्जा कर लिया और उत्तेजक भाषण दिए जिससे उनके इरादे स्पष्ट हो गए। किसानों ने कल पुलिस के द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए पुलिस बैरिकेड तोड़कर हिंसक घटनाएं की। कुल मिलाकर 394 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और कुछ पुलिसकर्मी ICU में भी हैं।'
19 की गिरफ्तारी, 50 हिरासत में
कमिश्नर ने आगे कहा कि हिंसा के जो भी वीडियो हैं, उनकी जांच जारी है। हिंसा करने वालों की जांच हो रही है। 25 से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। किसान नेताओं पर भी कार्रवाई होगी। ट्रैक्टर रैली के पहले हमने किसानों के नेताओं के साथ पांच दौर की बैठकें की। उन्होंने विश्वासघात किया है। 19 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है। उनसे पूछताछ की जा रही है।
किसानों ने बैरिकेड तोड़े
एसएन श्रीवास्तव ने कहा, 'हम दिल्ली में गैर-क़ानूनी तरीके से किए गए आंदोलन और उस दौरान हिंसा और लाल किले पर फहराए गए झंडे को बड़ी गंभीरता से ले रहे हैं। गाजीपुर में किसान नेता राकेश टिकैत के साथ जो किसान मौजूद थे उन्होंने भी हिंसा की घटना को अंजाम दिया और आगे बढ़कर अक्षरधाम गए, हालांकि पुलिस द्वारा कुछ किसानों को वापस भेजा गया लेकिन कुछ किसानों ने पुलिस बैरिकेड तोड़े और लाल किले पहुंचे। पुलिस के पास कई कई विकल्प थे, लेकिन वह शांत रही।'