- जेडीयू ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए घोषित कर दिए हैं 115 उम्मीदवार
- इस लिस्ट में गुप्तेश्वर पांडे का नहीं है नाम, पांडे जी ने कुछ समय पहले थामा था जेडीयू का दामन
- टिकट नहीं मिलने पर बोले गुप्तेश्वर पांडे- मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है, मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने सुशांत सिंह राजपूत केस को लेकर काफी सुर्खियां बटोरी थी और उन पर आरोप लगा था कि वो अपनी राजनीति की पिच तैयार कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले ही गुप्तेश्वर पांडे ने नौकरी से इस्तीफा देकर जेडीयू ज्वॉइन कर ली औऱ कयास लगने लगे कि वो राज्य के बक्सर जिले की किसी सीट से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन जैसे ही बुधवार को जेडीयू के सभी 115 सीटों की लिस्ट सामने आई तो इसमें उनका नाम कहीं नहीं था। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि नौकरी छोड़कर जेडीयू में शामिल हुए पांडे जी का अब क्या होगा?
टिकट नहीं मिलने पर दी सफाई
विधानसभा का टिकट नहीं मिलने पर अब गुप्तेश्वर पांडे ने खुद सफाई दी है और फेसबुक पोस्ट के जरिए अपनी बात रखी है। गुप्तेश्वर पांडे ने लिखा, 'अपने अनेक शुभचिंतकों के फोन से परेशान हूं, मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूं। मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा। हताश निराश होने की कोई बात नहीं है। धीरज रखें। मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है। मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा। कृपया धीरज रखें और मुझे फोन नहीं करे। बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है।'
बीजेपी के खाते में गई सीट
दरअसल गुप्तेश्वर पांडे बक्सर की जिस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, वो सीट अब बीजेपी के खाते में चली गई है। सीटों के बंटवारे से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें बक्सर सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है। राजनीतिक गलियारों चर्चा थी कि कि पांडे जी को बीजेपी का सहारा मिल सकता है, लेकिन वो भी नहीं हुआ। बीजेपी ने यहां से परशुराम चतुर्वेदी को टिकट दिया है।
तो क्या लड़ेंगे लोकसभा उपचुनाव
अब दूसरी चर्चा ये है कि पांडे जी वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं जो जेडीयू सांसद वैद्यनाथ प्रसाद महतो के निधन के बाद खाली हुई है। इस सीट पर 7 नवंबर को मतदान होना है और 13 अक्टूबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होनी है। इस सीट एक दशक से एनडीए के पास है। लेकिन यहां भी पांडे जी की राह आसान नहीं है। दिवंगत वैद्यप्रसाद महतो के बेटों ने यहां दावेदारी की है। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने महतो के छोटे बेटे सुनील कुमार को टिकट के लिए आश्वस्त किया है। तो ऐसे में हो सकता है कि जेडीयू पांडे जी को राज्यसभा भेज दे।