- भैय्या जी जोशी ने कहा कि 'देंवेंद्र जी के भाग्य में विपक्ष का नेता यह बहुत दिन का विषय नहीं है
- शुक्रवार को ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी
- दुनिया भर में, लोकतांत्रिक रूप में शासन की खामियां कम से कम हैं और यह सबसे आदर्श प्रणाली है- भैय्या जी जोशी
नागपुर: महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज महाविकास अघाड़ी में इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। उद्धव ठाकरे द्वारा नागरिकता संशोधन कानून और एनपीआर का खुलकर समर्थन करने पर सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस ने आंखें दिखाना शुरू कर दिया है। इन सबके बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरसंघचालक भैय्या जी जोशी ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे।
शुक्रवार को ही पीएम मोदी से मिले थे उद्धव
भैय्या जी जोशी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब शुक्रवार को ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। भैय्या जी जोशी ने दावा किया कि फडणवीस के नाम के आगे नेता विपक्ष का तमगा ज्यादा दिन तक नहीं लगा रहेगा। नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भैय्या जी जोशी ने कहा कि 'देंवेंद्र जी के भाग्य में विपक्ष का नेता यह बहुत दिन का विषय नहीं है। भूतपूर्व सीएम भी अल्पायु है।'
भैय्या जी जोशी का दावा
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक जोशी ने कहा, 'विपक्ष का नेता या बहुत लंबे समय तक पूर्व मुख्यमंत्री बने रहना उनकी किस्मत में नहीं है। ये दोनों ही छोटी अवधि के हैं, राजनीतिक उतार-चढ़ाव एक लोकतंत्र का हिस्सा हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'लोकतंत्र में सरकारें होती हैं जो आती हैं और चली जाती हैं। सरकार बहुत बड़ी ताकत के साथ निहित होती है, जो समाज द्वारा बनाई जाती है। दुनिया भर में, लोकतांत्रिक रूप में शासन की खामियां कम से कम हैं और यह सबसे आदर्श प्रणाली है।'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शीर्ष पदाधिकारी भैय्या जी जोशी ने कहा कि खामियों के बावजूद, प्रशासन का लोकतांत्रिक रूप अभी भी भारत के लिए प्रशासन का सबसे अच्छा रूप है। हालांकि उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि संविधान में प्रदत्त 'अधिकारों' के बावजूद लोग अपने 'कर्तव्यों' के प्रति लगातार उदासीन हैं।
शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर बनाई सरकार
आपको बता दें कि पिछले साल महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना वाले गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला था लेकिन इसके बावजूद भी बीजेपी सरकार नहीं बना सकी थी। मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों में लंबे समय तक तकरार चलते रही और अंत में यह गठबंधन टूट गया। 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 सीटें जीतने के बावजूद भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा था और शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली।