- भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज 5वीं पुण्यतिथि है
- इंट्रीग्रेडेट गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें मिसाइल मैन को तौर पर याद किया जाता है
- उन्होंने 2002 से 2007 तक भारत 11वें राष्ट्रपित के तौर पर देश की सेवा की
Dr. APJ Abdul Kalam's 5th death anniversary : भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज (27 जुलाई) पांचवीं पुण्य तिथि है। इस मौक पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने उन्हें याद किया। हर भारतीय उन्हें मिसाइल मैन के नाम से जानते हैं। वे एक महान मानवतावादी और दूरदर्शी व्यक्ति थे। उन्होंने 2002 से 2007 तक भारत 11वें राष्ट्रपित के तौर पर देश की सेवा की। उन्होंने ने छात्रों को पढ़ाया और वैज्ञानिक के तौर पर बड़ी उपलब्धि हासिल की।
डॉ कलाम का निधन 27 जुलाई, 2015 को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट शिलांग में छात्रों को व्याख्यान देते हुए हुआ। उन्हें भारत के नागरिकों के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में याद किया जाता है और भविष्य में भी याद किया जाता रहेगा। उन्होने कहा था आपको अपने सपने सच करने से पहले सपने देखने होंगे। उनकी पुण्यतिथि पर आज हम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और DRDO में उनके योगदान को जानते हैं।
इसरो और डीआरडीओ में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का योगदान
- डॉ. कलाम ने 1958 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक होने के बाद DRDO में अपना करियर शुरू किया।
- उन्होंने पोखरण- II परमाणु परीक्षणों का पर्यवेक्षण किया और 1992 से 1999 तक रक्षा मंत्री और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया।
- कलाम ने बाद में इसरो में ज्वाइन किया जहां उन्होंने एसएलवी- III की मदद से रोहिणी- I उपग्रह को लो अर्थ ऑर्बिट में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- 19 वर्षों तक इसरो में काम करने के बाद, उन्होंने DRDO में वापसी की और इंट्रीग्रेडेट गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के तहत अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- डॉ. कलाम इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च (INCOSPAR) का भी हिस्सा थे, जिसे डॉ. विक्रम साराभाई ने स्थापित किया था।