- बसंतोत्सव में यूनिवर्सिटी छात्रों के अश्लील प्रदर्शन के बाद बीजेपी नेता का बयान
- दिलीप घोष बोले- राज्य की सांस्कृतिक परंपराएं हो रही बर्बाद, यह सामूहित पतन है
- नशे में प्रदर्शन कर रहीं पश्चिम बंगाल की महिलाएं, हो सकती हैं हिंसा की शिकार: घोष
कोलकाता: पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रमुख दिलीप घोष ने रविवार को एक और विवाद को हवा देते हुए आरोप लगाया कि महिलाओं को ड्रग्स के प्रभाव में विरोध कराया जा रहा है और वह हिंसा का शिकार हो सकती हैं। उनकी टिप्पणी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आई।
घोष ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'राज्य की सांस्कृतिक परंपराएं बर्बाद हो रही हैं। महिलाएं हमारी सांस्कृतिक विरासत को भूल रही हैं। उन्हें ड्रग्स के प्रभाव में विरोध का चेहरा बनाया जा रहा है। वह दिन भर चिल्लाते हैं। क्या यह बंगाल का है?'
हालांकि, दिलीप घोष की टिप्पणियां यहीं खत्म नहीं हुईं। उन्होंने आगे बोलते हुए और भी ज्यादा तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, 'अगर ये महिलाएं इस तरह से व्यवहार करती हैं, तो आम लोग उनके साथ कैसे व्यवहार करेंगे? वह हिंसा का शिकार हो जाएंगीं।'
हालांकि, घोष ने इस दौरान दोष देने के लिए कोई खास नाम नहीं लिया और कहा, 'यह सामूहिक पतन है। हर किसी को इसका कारण पता लगाना होगा।' कुछ युवा महिलाओं के बसंतोत्सव के दौरान रवीन्द्र संगीत के बोलों को बिगाड़कर अश्लील शब्दों को 'गुलाल' से शरीर पर लिखकर प्रदर्शित करने की घटना के बाद घोष की यह टिप्पणी सामने आई है। इस घटना की वायरल हुई तस्वीरों ने काफी उथल-पुथल मचा दी थी।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, कुछ युवाओं को सीने पर अश्लील शब्द लिखकर घूमते हुए भी देखा गया था। यह भी कहा गया था कि विश्वविद्यालय द्वारा दर्ज की गई शिकायत के बाद पुलिस ने इस घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया। इस बीच, कुलपति सब्यसाची बसु रॉयचौधरी ने इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा दे दिया, लेकिन बाद में शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के अनुरोध पर इसे वापस ले लिया।
एएनआई ने आगे बताया कि यूनिवर्सिटी के सिंटही पुलिस स्टेशन में सामान्य डायरी दर्ज होने के बाद आरोपी वापस विश्वविद्यालय परिसर में चले गए और अधिकारियों व छात्र परिषद से 'गलती' के लिए माफी मांगी।