- पिछले 17 साल में 5,442 मनी लॉन्ड्रिंग के केस दर्ज किए गए लेकिन सजा महज 23 केस में हुई है।
- विपक्ष का आरोप है कि सरकार ED के जरिए विपक्षी नेताओं को डराने-धमकाने का काम कर रही है।
- इस समय विपक्ष के कई नेताओं के खिलाफ ईडी की जांच हो रही है।
PMLA And Supreme Court:सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के विभिन्न प्रावधानों पर अहम फैसला सुनाया है। उसने PMLA के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को सही ठहराया है। और कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी मनमानी नहीं है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ED पीएमएलए के तहत संपत्तियों को जब्त कर सकती है और पूछताछ के लिए किसी को भी समन जारी कर सकती है। अदालत ने कहा कि ईडी को दिया गया बयान सबूत माना जाएगा और 2018 में किया गया संशोधन सही है।
इसके पहले 242 लोगों ने PMLA के तहत ईडी को मिले गिरफ्तारी के अधिकार सहित उसके कुछ अन्य प्रावधानों को चुनौती देते हुए उन्हें रद्द करने की मांग की थी। PMLA पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने वाले समय में कई विपक्षी नेताओं के लिए मुसीबत बन सकता है। विपक्षी दल लगातार इस बात का आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ED के जरिए विपक्षी नेताओं को डराने-धमकाने का काम कर रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या है PMLA, जिस पर विपक्ष दलों को ऐतराज है..
क्या है Prevention of Money Laundering Act (PMLA)
साल 2002 में संसद द्वारा पारित इस कानून को लाने का मकसद, काले धन को सफेद में करने की कोशिशों को रोकना है। यानी मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है। मनी लॉन्ड्रिंग 3 चरणों में होती है। जिसमें प्लेसमेंट,लेयरिंग और इंटीग्रेशन कहा जाता है। मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने के लिए PMLA साल 2005 से पूरे देश में लागू है। और इसमें अब तक 3 बार संशोधन किया जा चुका है। PMLA के अंतर्गत आने वाले सभी अपराधों की जांच प्रवर्तन निदेशालय करता है।
ED के हक में SC का फैसला, PMLA के तहत गिरफ्तारी के अधिकार को सही ठहराया
कितनी मिलती है सजा
मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी पाए जाने पर आरोपी को 3 साल से 7 साल की सजा का प्रावधान है। इसके तहत ईडी आरोपी की संपत्ति को जब्L और कुर्क कर सकती है। साथ ही अगर इसमें नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 से जुड़े अपराध भी शामिल हो जाते हैं, तो जुर्माने के साथ 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।
17 साल में केवल 23 को सजा
विपक्ष का ईडी की कार्रवाई पर सबसे बड़ा आरोप यही है कि वह केवल विपक्षी दलों के नेताओं को डराने का काम करती है। क्योंकि इसमें सजा अभी तक बहुत कम लोगों को मिल पाई है। सोमवार को लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा दी गई लिखित जानकारी के अनुसार पिछले 17 साल में 5,442 (31 मार्च 2022) मनी लॉन्ड्रिंग के केस दर्ज किए गए लेकिन सजा महज 23 केस में हुई है। और इन केस में अब तक इसमें करीब 1,04702 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच किया गया। वहीं 992 केस में चार्जशीट दाखिल की गई। इस अवधि में 869.31 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई और 23 केस में सजा हो पाई।
इन नेताओं की बढ़ सकती है मुश्किलें
इस समय विपक्ष के कई नेताओं के खिलाफ ईडी की जांच हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का नेताओं के मामलों पर असर पड़ सकता है। जिसमें कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर एनसीपी अनिल देशमुख, नवाब मलिक, कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम और भूपिंदर सिंह हुड्डा, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी शामिल हैं। इन सभी नेताओं के खिलाफ ईडी जांच चल रही है।