नई दिल्ली: आत्मनिर्भरता के साथ भारत की सशस्त्र सेनाओं को और मजबूत बनाने के लिए अब भारत स्मार्ट एम्युनिशन पर तेजी से काम कर रहा है। रक्षा मंत्रालय निजी कंपनियों के साथ मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एम्युनिशंस बना रहा है जिन्हें आगे चलकर ड्रोन में लगाया जा सकता है।प्रिसीशन गाइडेड एम्युनिशन के लिए कई निजी कंपनियों से संपर्क किया गया है ताकि आने वाले समय में भारत में ही स्मार्ट गोला बारूद विकसित किया जा सके। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज रक्षा मंत्रालय और फिक्की के साथ एक साझा कार्यक्रम में कहा कि अब तक जारी की गई पॉजिटिव इंडिजिनाइजेशन लिस्ट में 43 आयुध को शामिल किया गया है जिन्हें अब देश में ही बनाया जा रहा है।
एमो इंडिया मिलिट्री एम्युनिशन की संभावनाओं के लिए आयोजित सेमिनार में भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के लिए आयुध बनाने वाली कंपनियों ने हिस्सा लिया। इन कंपनियों ने वह गोले बारूद भी प्रदर्शित किए जो अरसे से हमारी देश की आर्टिलरी, फाइटर एयरक्राफ्ट और युद्धपोतों के लिए बनाए जा रहे हैं साथ ही उन योजनाओं का भी ब्यौरा दिया जो फिलहाल पाइप लाइन में है और जल्द कारगर होने वाली है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 2017 में सरकार ने गोला बारूद के लिए RFP जारी की जिसके बाद 12 अलग अलग तरह के आयुध को चिन्हित किया और इनपर काम करना शुरू किया।
रक्षा मंत्री के मुताबिक इनमें से 4 अलग अलग तरह के गोला बारूद के ट्रायल लगभग पूरे होने वाले हैं। इस मौके पर बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बालाकोट स्ट्राइक की याद दिलाते हुए कहा कि देश में पहली बार प्रशिक्षण गाइडेड एम्युनिशन का इस्तेमाल बालाकोट स्ट्राइक के लिए किया और इसमें वायु सेना को बड़ी सफलता मिली।आधुनिक युद्धक्षेत्रों में गोला-बारूद अपने नए अवतार में उभर रहा है, जो एक बार प्रोग्राम करने के बाद स्वचालित रूप से इनपुट ले सकता है, पाठ्यक्रम सुधार कर सकता है और सही समय पर उपयुक्त स्थान को लक्षित कर सकता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक पहले केवल बमों का आकार और विस्फोटक क्षमता मायने रखती थी, लेकिन अब उनकी चतुराई भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। एक स्मार्ट, सटीक और स्वायत्त हथियार प्रणाली के लाभों के बारे में विस्तार से बताते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा कि यह केवल वांछित क्षेत्रों को लक्षित करता है। “अगर किसी दुश्मन के अड्डे को नष्ट करना है, तो सटीक गोला-बारूद चुनिंदा रूप से उसे निशाना बनाएगा, न कि किसी नागरिक प्रतिष्ठान को। पारंपरिक गोला-बारूद के मामले में ऐसा नहीं है। सात नई रक्षा कम्पनियां जिन्हें तत्कालीन आयुध निर्माणी बोर्ड से अलग किया गया था, बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है। इन कंपनियों में से 6 कंपनी ने अपनी स्थापना के छह महीने के भीतर लाभ की सूचना दी है। मुनिशन्स इंडिया लिमिटेड को 500 करोड़ रुपये के निर्यात ऑर्डर मिले हैं, उन्होंने इस उपलब्धि को देश में गोला-बारूद उद्योग की विशाल क्षमता का संकेतक बताया।