- भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमान के लिए किया था 59 हजार करोड़ का सौदा
- पंजाब के अंबाला में तैनात होगी राफेल एयरक्राफ्ट की पहली स्क्वाड्रन
- मई 2020 में भारत आएंगे 4 राफेल, फ्रांस में चल रही है वायुसेना पायलटों की ट्रेनिंग
नई दिल्ली: फ्रांस में भारतीय वायुसेना को तीन राफेल लड़ाकू विमान सौंप दिए गए हैं। मौजूदा समय में भारत के पायलट इस आधुनिक विमान को उड़ाने और टेक्नीशियन (विमान के तकनीकी काम से जुड़े लोग) राफेल को उड़ान के लिए तैयार रखने के लिए ट्रेनिंग ले रहे हैं। कुछ सप्ताह पहले ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पहला राफेल लड़ाकू विमान लेने के लिए फ्रांस पहुंचे थे। उन्होंने 8 अक्टूबर को दशहरा और भारतीय वायुसेना दिवस के मौके पर फ्रांस में राफेल की शस्त्र पूजा भी की थी।
शस्त्र पूजा के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दो सीट वाले राफेल लड़ाकू विमान पर उड़ान भरी थी। इस दौरान रक्षा मंत्री पीछे वाली सीट पर बैठे थे और फ्रांस के एक पायलट ने आगे वाली कॉकपिट पर बैठकर इसे उड़ाया था। अब भारतीय वायुसेना के पायलट भी राफेल लड़ाकू विमान को उड़ाने पर महारत हासिल करने में जुटे हैं ताकि विमान की सभी खूबियों, क्षमताओं और इसे उड़ाने के तरीके को ठीक से समझकर ऑपरेशन या किसी भी हवाई संघर्ष के दौरान दुश्मन पर अचूक वार किया जा सके।
एमओएस श्रीपद नाइक ने 3 विमान भारत को मिलने के बारे में बात की और साथ ही राफेल विवाद को लेकर भी बयान देते हुए कहा कि 13 फरवरी को संसद में पेश की गई भारतीय वायुसेना में अधिग्रहण पर सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 36 राफेल खरीद के पूरे पैकेज की कीमत कांग्रेस के समय में शुरु हुई MMRCA प्रक्रिया की तुलना में ऑडिट कीमत से 2.86% कम है।
राफेल 4.5 जेनरेशन का आधुनिक लड़ाकू विमान हो जो स्कैल्प और मीटियोर जैसी अचूक मिसाइलों से लैस है। राफेल भारत आने के बाद भारत को दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र में अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ बढ़त हासिल होगी। फ्रांस और भारत के अलावा इजिप्ट और कतर की वायुसेनाएं भी राफेल लड़ाकू विमान का इस्तेमाल करती हैं।