- गहलोत सरकार ने राज्य में लागू किया राजस्थान महामारी अध्यादेश 2020
- बेहतर ढंग से स्थिति से निपटने में प्रशासन को मिलेगी मदद
- नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों पर की जाएगी कड़ी कार्रवाई
नई दिल्ली: कोरोना वायरस का कहर लगातार कई राज्यों में जारी है और राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है। राज्य में लगातार नए मामले सामने आए रहे हैं और COVID-19 के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Government) ने असरदार ढंग से स्थिति से निपटने के लिए राजस्थान महामारी अध्यादेश लागू कर दिया है। महामारी को देखते हुए लागू नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए इसमें दो साल तक की कैद का प्रावधान है।
राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार राजस्थान संक्रामक रोग अधिनियम-1957 की जगह राजस्थान महामारी अध्यादेश-2020 (Rajasthan epidemic ordinance 2020) को लेकर आई है। बता दें कि विधानसभा सत्र नहीं चलने के कारण राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपनी प्रदत शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है।
विधि विभाग को जारी हुआ आधिकारिक आदेश: विधानसभा सत्र शुरु होने के बाद गहलोत सरकार की ओर से इस अध्यादेश को विधानसभा में पास करवाया जाएगा और फिर हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल के पास भी भेजा जाएगा। जैसे ही राज्यपाल हस्ताक्षर करते हुए इसे अपनी मंजूरी देंगे तो यह अध्यादेश कानून का रूप ले लेगा। इस संबंध में राजस्थान के विधि विभाग को भी आधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं।
नियम तोड़ने पर सजा: राजस्थान महामारी अध्यादेश, 2020 के अनुसार इस आदेश या नियमन की अवज्ञा करने वालों को दो साल तक की कैद या 10 हजार रुपए का जुर्माना या दोनों की सजा भुगतनी पड़ सकती है। इसके तहत केस दर्ज करने की शक्तियां बढ़ा दी गई हैं। कलेक्टर की शक्तियों के प्रयोग करने का दायरा बढ़ा दिया गया है। अध्यादेश में बीमारी के दौरान कार्रवाई करने के बारे में अलग से जिक्र किया गया है। राजस्थान संक्रामक रोग अधिनियम-1957 में महामारी के कारण लागू नियमों का उल्लंघन करने वालों को 6 महीने की सजा और 1000 रुपए के जुर्माने अथवा दोनों का प्रावधान था लेकिन अब नियम और कड़े होने जा रहे हैं।
मिजोरम और ओडिशा भी लाए हैं अध्यादेश: मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा के मंत्रिमंडल ने भी बीते शनिवार को उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, जिसमें लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले लोगों को दूसरों के लिए सबक बनने वाली सजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। राज्य में लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में एक स्थानीय कार्य बल के सदस्यों ने आठ किशोरों को पीट दिया था। इस मामले के सामने आने के करीब एक हफ्ते बाद मंत्रिमंडल ने इस अध्यादेश को मंजूरी दी।
ओडिशा सरकार ने भी कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अध्यादेश लागू कर दिया है और इसके लिए ओडिशा सरकार ने पुराने अधिनियम में संशोधन किया था।