- गुलाम नबी आजाद गांधी परिवार की 4 पीढ़ियों के साथ काम कर चुके हैं।
- वह जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी लगातार प्रशंसा करते रहते हैं।
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बड़ा नाम गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा है कि मौजूदा पीढ़ी सुझावों पर ध्यान नहीं देती। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि भले ही ये सुझाव कांग्रेस के दिग्गज नेता क्यों ने दें, लेकिन इसे अपराध और विद्रोह के तौर पर ही देखा जाता है। गुलाम नबी आजाद की नाराजगी, कांग्रेस के लिए इसलिए परेशान करने वाली हैं, क्योंकि वह, उन खास नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें गांधी परिवार की 4 पीढ़ी के साथ न केवल काम करने का मौका मिला, बल्कि उनके करीबी रहे।
इंदिरा से सोनिया गांधी तक के साथ किया काम
गुलाम नबी आजाद ने इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ काम किया है। फरवरी 2021 में उनके राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया था। उस समय वह राज्य सभा में कांग्रेस के नेता थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी बीच-बीच अपने खास संबंधों का जिक्र करते रहते हैं।
लगातार दे रहे बयान
जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आज कल लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं। जो गांधी परिवार को असहज कर सकता है। हाल ही में उन्होंने कहा कि पूंछ की रैली में कहा कि कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव में 300 से अधिक सीटें मिलती नहीं दिखाई पड़ रही हैं। कुछ लोग ऐसा दावा कर रहे हैं, लेकिन मुझे होता नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि धारा 370 को बहाल करने के लिए कांग्रेस को 300 से अधिक सीट मिलनी चाहिए। लेकिन 2024 में ऐसा होता हमें नहीं दिख रहा है।
इस बीच उनका एक और बयान एक चैनल को दिए इंटरव्यू में सामने आया है। उन्होने कहा कि वह एक नई पार्टी शुरू नहीं कर रहे हैं, लेकिन भविष्य के बारे में वह कुछ नहीं कह सकते हैं क्यों राजनीति में कब-क्या हो कहा नहीं जा सकता है।
इस बीच कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के सात प्रमुख नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना त्यागपत्र भेजने की भी खबरें आईं। जिसमें दावा किया गया कि उन्हें केंद्रशासित प्रदेश में पार्टी से संबंधित मामलों को लेकर अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया। त्यागपत्र भेजने वालों में चार पूर्व मंत्री और तीन विधायक के नाम शामिल होने का दावा किया गया था। कांग्रेस के इन नेताओं के इस्तीफे से कुछ दिनों पहले ही आजाद ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था।
G-23 नेता में शामिल है गुलाम नबी आजाद
आजाद कांग्रेस के उन 23 नेताओं के समूह में शामिल हैं जिन्होंने अगस्त 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखकर कांग्रेस में बड़े बदलाव की मांग की थी। और उसके बाद से कपिल सिब्बल के नेतृत्व में ये धड़ा कई बार खुलकर कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाता रहा है। इस बीच कांग्रेस नेतृत्व के बीच ऐसी कोशिशें भी होती दिखीं, जिसमें पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर बनाई कमेटी में गुलाम नबी आजाद को भी जगह दी थी। लेकिन लगता है कि उनकी कोशिश सफल होती नहीं दिख रही है।
राजीव गांधी के थे खास
गुलाम नबी आज़ाद का जन्म मार्च 1949 को जम्मू कश्मीर के जिला डोडा में हुआ था। आजाद ने 1980 में महाराष्ट्र की वाशिम सीट से अपना पहला संसदीय चुनाव जीता। 1982 में वो कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री बने। जिसके बाद आजाद का राजनीतिक करियर आगे बढ़ता गया। इंदिरा गांधी के करीबी थे और राजीव गांधी की राजनीति में आने भी उनकी अहम भूमिका रही थी।