- हाथरस घटना में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी का गठन किया
- SIT को सात दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश
- इसके अलावा फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने के निर्देश भी दिए हैं
नई दिल्ली: हाथरस गैंगरेप और हत्या के मामले में नई बात सामने आई है। आरोपियों के परिवार के अनुसार, उन्हें पीड़ित परिवार के साथ एक पुराने पारिवारिक झगड़े के आधार पर गैंगरेप और हत्या के झूठे आरोप में फंसाया गया है। हाथरस गैंगरेप मामले में गिरफ्तार आरोपी रामू की मां ने दावा किया है कि दोनों परिवारों के बीच दो दशक पहले पारिवारिक झगड़ा हुआ था और उनके परिवार के दो सदस्य एससी/एसटी अधिनियम के तहत जेल गए थे।
उन्होंने कहा कि संदीप के पिता नरेंद्र और आरोपी रवि 2001 में पीड़िता के दादा पर हमला करने के आरोपी थे। रवि उस समय 13 साल का था। उन्होंने इंडिया टुडे टीवी को बताया, 'उन पर मारपीट करने का झूठा आरोप लगाया गया था। मृत लड़की के दादा ने हमारे परिवार के दो सदस्यों को जेल भेजने के लिए खुद को चोट पहुंचाई थी।'
हालांकि, उन्होंने कहा कि बाद में झगड़े की कोई घटना नहीं हुई थी। महिला ने पुलिस पर उनके बेटे पर झूठा आरोप लगाने का भी आरोप लगाया है। वह कहती हैं, 'घटना के समय, मेरा बेटा रामू डेयरी चिलर में अपनी नौकरी पर था। उपस्थिति रजिस्टर देखा जा सकता है या प्रबंधक से बात कर सकता है। वे पुष्टि करेंगे कि वह वहीं था। वह सुबह 7:30 बजे ड्यूटी के लिए निकलता है और लगभग 12:30 बजे लौटता है। उसे मामले में झूठा फंसाया गया।'
चार आरोपियों में से तीन रामू, संदीप और रवि रिश्तेदार हैं और पीड़ित के घर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर रहते हैं। पीड़ित परिवार ने हालांकि कहा कि इस घटना का पुराने पारिवारिक झगड़े से कोई लेना-देना नहीं है और 14 सितंबर की घटना पूर्व नियोजित थी।
पीड़िता के भाई ने कहा कि संदीप मेरी बहन को घूरता था। वह हमेशा आरोपी व्यक्तियों से डरती थी। चारों आरोपियों पर बलात्कार के साथ-साथ हत्या का आरोप लगाया गया है।