- किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 11वें दौर की बातचीत में कोई समाधान नहीं निकला
- कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी को बाध्यकारी बनाने पर अड़े किसान
- केंद्र सरकार ने पिछली वार्ता में कानूनों को डेढ़ साल तक होल्ड पर रखने का दिया था प्रस्ताव
नई दिल्ली। नई दिल्ली। विज्ञान भवन में किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच एक और दौर की वार्ता हुई। लेकिन नतीजा सिफर रहा। बैठक से पहले जिस तरह से किसान संगठनों ने एक बार फिर कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ ही एमएसपी को बाध्यकारी बनाने की बात पर बल दिया था वो वार्ता के अंजाम को बताने के लिए पर्याप्त था। अगली दौर की बैठक के लिए तारीख तय नहीं हुआ। बता दें कि किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत करीब 5 घंटे चली।
किसान संगठनों ने क्या कहा
किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि लंच ब्रेक से पहले, किसान नेताओं ने खेत कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग दोहराई और सरकार ने कहा कि वे संशोधन के लिए तैयार हैं। मंत्री ने हमें सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा और हमने उसे हमारा विचार करने के लिए कहा। उसके बाद, मंत्री बैठक छोड़कर चले गए। उसके बाद से मंत्री जी का किसान नेता इंतजार करते रहे।
बातचीत की अगली तारीख तय नहीं
बीकेयू क्रांतिकारी (पंजाब) के राज्य अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि किसान संघों और सरकार के बीच तीन कृषि कानूनों को लेकर ग्यारहवें दौर की बैठक समाप्त हो गई।अगली बैठक की कोई तारीख सरकार द्वारा तय नहीं की गई है।
26 जनवरी को सड़कों पर ट्रैक्टर के साथ उतरेंगे
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि बैठक के दौरान, सरकार ने दो साल के लिए कृषि कानूनों को लागू करने की पेशकश की और कहा कि बैठक का अगला दौर केवल तभी हो सकता है जब किसान यूनियन प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए तैयार हों। इसके साथ ही यह भी कहा कि पूर्व योजना के तहत 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली आयोजित की जाएगी