शिमला : हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में भीषण हिमस्खलन की घटना हुई है, जिसने गोंढाला घाटी के खांगसर गांव को बुरी तरह प्रभावित किया है। हालांकि अभी तक इसमें किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है, लेकिन इसने आसपास के इलाके को बुरी तरह प्रभावित किया है और लोगों में इसके कारण प्राकृतिक आपदा लेकर खौफ भी बैठ गया है। इसका वीडियो भी सामने आया है, जो बेहद डरावना है।
लाहौल-स्पीति जिले में हुए इस हिमस्लखन की घटना ने उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी को नंदा देवी ग्लेशियर के टूटने से हुई तबाही की याद दिला दी है, जिसमें अब तक 74 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि 130 लोग अब भी लापता हैं। अब हिमाचल से हिमस्खलन का वीडियो सामने आया है, जिसे देखकर तबाही का अंदाजा साफ लगाया जा सकता है। यह घटना कैमरे में कैद हो गई है।
मौसम से क्या है कनेक्शन?
हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में इससे पहले फरवरी 1984 में भी विनाशकारी हिमस्ख्लन हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई थी। हिमाचल में हुई वह तबाही हो या अभी उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से मची तबाही, दोनों घटनाएं फरवरी में ही हुईं और अब मार्च में एक बार फिर यहां हिस्खलन की बड़ी घटना हुई है, जिसे देखते हुए सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन सबका मौसम से कोई कनेक्शन है?
इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर-जनवरी महीने कम तापमान में पड़ी बर्फ जल्दी जम जाती है। लेकिन फरवरी से जब तापमान में बढ़ोतरी शुरू होती है तो उस वक्त किसी भी तरह की बर्फबारी हिमस्खलन के खतरे को बढ़ा सकती है। ऐसे मौसम में जब बर्फबारी होती है तो पुरानी जमी व ताजा बर्फ के बीच तापमान में अंतर होता है। इस कारण ऊपरी बर्फ पिघलकर पानी में तब्दली होने लग जाती है।
10 दिन पहले हुई थी बर्फबारी
इस परिस्थिति में पुरानी व ताजा बर्फ के बीच पानी एकत्र हो जाता है, जिससे ऊपर जमी बर्फ फिसलने लगती है। इसकी चपेट में ठोस हो चुकी पुरानी बर्फ भी आ जाती है और यही हिमस्खलन की वजह बन जाती है। हिमाचल में मौजूदा समय में बर्फबारी की बात करें तो 10 दिन पहले (10 मार्च को) ही लाहौल-स्पीति, कुल्लू और भरमौर की चोटियों पर बर्फबारी हुई थी। मौसम विभाग ने यहां येलो अलर्ट भी जारी किया था।
हिमस्लखन की ऐसी और भी कई घटनाएं हैं, जिनमें देखा गया है कि फरवरी में बर्फबारी के बाद हिमस्खलन का खतरा बढ़ा है और ऐसी घटनाएं हुई हैं। हिमाचल प्रदेश में लाहुल-स्पीति के साथ-साथ मनाली, किन्नौर, कांगड़ा का बड़ा भंगाल, चंबा का कुगती पास व मणिमहेश क्षेत्र ऐसे इलाके हैं, जहां हिमस्खलन खतरा बना रहता है। ऐसे में इन इलाकों में रहने वालों को अक्सर हिमस्खलन को लेकर सचेत रहने की सलाह दी जाती है।