- वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने चीन को सख्त लहजे में चेतावनी दी है
- भदौरिया ने कहा कि भारत के साथ उलझने पर चीन को वैश्विक मोर्चे पर कीमत चुकानी पड़ेगी
- वायु सेना प्रमुख ने कहा कि चीन के कर्ज की जाल में पाकिस्तान उलझ गया है
नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सहित लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच वायु सेना प्रमुख बीकेएस भदौरिया ने बीजिंग को सख्त संदेश दिया। वायु सेना प्रमुख ने कहा कि भारत के साथ चीन अगर संघर्ष को बढ़ाता है तो उसे वैश्विक मोर्चे पर भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। हमारे साथ टकराव उसके लिए अच्छा नहीं होगा। एक संवाददाता सम्मेलन में भदौरिया ने कहा, 'भारत के साथ किसी तरह का गंभीर टकराव चीन को वैश्विक मोर्चे पर भारी पड़ेगा। चीन की आकांक्षाएं यदि वैश्विक हैं तो यह टकराव उसकी बड़ी योजना के लिए ठीक नहीं होगा। उत्तरी सीमा पर चीन के दुस्साहसों का संभावित लक्ष्य क्या था, इसका पता हमें इस बात से चलेगा कि उन्होंने आखिर हासिल क्या किया।'
चीन को अपनी ताकत दिखाने का मिला अवसर
वायु सेना प्रमुख ने आगे कहा कि एलएसी पर चीनी फौज का भारी जमावड़ा है। सीमा पर उन्होंने बड़ी संख्या में रडार, सतह से हवा और सतह से सतह में मार करने वाली मिसाइलें तैनात कर रखी हैं। उन्होंने कहा, 'उनकी तैनाती बड़ी है। इसे देखते हुए हमने जरूरी सभी कदम उठाए हैं।' भदौरिया ने कहा कि वैश्विक भू-राजनीति में पैदा हो रही अनिश्चिततता एवं अस्थिरता' ने चीन को अपनी ताकत का प्रदर्शन करने का एक अवसर दिया है। साथ ही उसने वैश्विक सुरक्षा में बड़ी ताकतों के अपर्याप्त योगदान को भी रेखांकित किया है।'
चीन का प्यादा है पाकिस्तान
पाकिस्तान को चीन का प्यादा बताते हुए वायु सेना प्रमुख ने कहा कि पड़ोसी देश चीन के हाथ की कठपुतली बन गया है। सीपीईसी के कर्ज की जाल में उलझे पाकिस्तान को अपनी सैन्य जरूरतों के लिए भविष्य में चीन पर निर्भर रहना होगा। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिका के बाहर जाने के बाद से चीन के पास पाकिस्तान के जरिए एवं प्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र में अपना प्रभाव जमाने के विकल्प बढ़े हैं।
सीमा पर भारत-चीन के बीच जारी है तनाव
गत 14-15 जून की रात गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते नाजुक हो गए हैं। पूर्वी लद्दाख सहित एलएसी पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी क्षेत्रीय एकता, अखंडता एवं संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। सीमा पर जारी तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच राजनयिक एवं सैन्य दोनों स्तर पर बातचीत हो रही है लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं निकल सका है।