नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन एक्ट पर पार्टी से अलग विचार रखने वाले जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर नए नागरिकता कानून को लेकर अपने रुख पर कायम हैं। उन्होंने संसद में बिल पास कराने में पार्टी द्वारा किए गए समर्थन की सार्वजनिक तौर आलोचना की थी। उन्होंने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और नागरिकता कानून को लेकर रविवार को ट्वीट कर एक बार फिर चिंता व्यक्त की।
प्रशांत किशोर ने रविवार को ट्वीट किया कि पूरे देश में एनआरसी लागू करने का आइडिया नागरिकता की नोटबंदी की तरह है। जब तक पास इसे आप इसे अन्यथा साबित नहीं करते तब तक यह अमान्य है। नागरिकता संशोधन अधिनियम से सबसे अधिक पीड़ित गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोग होंगे। उन्होंने हैशटैग नोट गिविंगअफ (#NotGivingUp) ट्वीट करते कहा कि हम अनुभव से जानते हैं!!
प्रशांत किशोर ने शनिवार को पटना में पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बंद कमरे में मीटिंग की। उन्होंने नीतीश के साथ करीब एक घंटे तक विवादित कानून को लेकर चर्चा की। उसके बाद उन्होंने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून बड़ी चिंता की बात नहीं है लेकिन यह प्रस्तावित देशव्यापी एनआरसी के साथ मिलकर समस्या बन सकता है।
किशोर ने बुधवार को ट्वीट किया था कि यह कानून एनआरसी के साथ मिलकर व्यवस्थित ढंग से लोगों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव और यहां तक कि उन्हें प्रताड़ित करने के लिए घातक गठजोड़ बन सकता है।
नए नागरिकता कानून में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है जबकि एनआरसी में भारत के सभी वास्तविक नागरिकों का नाम होगा।
गौर हो कि नागरिकता संशोधन बिल पास कराने में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने लोकसभा और राज्यसभा में केंद्र सरकार से समर्थन में वोट किया था। यह बिल लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया। अब राष्ट्रपति के हास्ताक्षर के बाद कानून बन गया है।