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कोरोना की गंभीरता को रोकने में कितना कारगर है कोविशील्ड या कोवैक्सीन? देश में पहली बार होगा सर्वे

Updated May 26, 2021 | 22:55 IST

वैक्‍सीन को कोविड से बचाव का बड़ा हथियार समझा गया। लेकिन टीकाकरण के बावजूद कई लोग संक्रमित हुए और लोगों की जान भी गई। इन सबके बीच टीकाकरण को लेकर कई सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
कोरोना की गंभीरता को रोकने में कितना कारगर है कोविशील्ड या कोवैक्सीन? देश में पहली बार होगा सर्वे

नई दिल्ली : कोरोना वायरस से बचाव में वैक्‍सीन को काफी अहम समझा जा रहा है। भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में इस घातक संक्रामक रोग से बचाव के लिए वैक्‍सीन बनाई गई है और टीकाकरण की प्रक्रिया भी चल रही है। हालांकि इस बीच वैक्‍सीन की खुराकें लेने के बाद भी कई लोगों के इस संक्रामक बीमारी की चपेट में आने के मामले सामने आए हैं, जिसे देखते हुए वैक्‍सीन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ऐसे ही सवालों का जवाब तलाशने जा रहा है। इसके लिए अगले सप्‍ताह से सर्वेक्षण शुरू किया जाएगा। यह देश में 12 जनवरी को टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अपने तरह का पहला सर्वेक्षण होगा, जिसमें इसका पता लगाया जाएगा कि आखिर ये वैक्‍सीन कोरोना वायरस संक्रमण को गंभीर रूप लेने से रोकने में कितने प्रभावी हैं।

भारत में कोविशील्ड का उत्‍पादन सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है, जबकि कोवैक्‍सीन का निर्माण भारत बायोटेक कर रही है। देश में टीकाकरण की शुरुआत इन्‍हीं दोनों टीकों के साथ हुई थी और आज भी यही टीके देशभर में लगाए जा रहे हैं। इस बीच रूसी वैक्‍सीन 'स्‍पूतनिक' का उत्‍पादन भी भारत में शुरू हुआ है, जबकि फाइजर सहित कई अन्‍य वैक्‍सीन को लेकर भी सरकार की विभिन्‍न दवा कंपनियों से बातचीत चल रही है।

क्‍या है सर्वेक्षण का मकसद?

इन सबके बीच कोविड संक्रमण की गंभीरता को रोकने में वैक्‍सीन के प्रभावी होने के बारे में पता लगाने के लिए सर्वेक्षण होने जा रहा है, जिसमें 45 वर्ष से अधिक उम्र के करीब 4,000 ऐसे लोगों को शामिल किया जाएगा, जिन्‍होंने दोनों वैक्‍सीन में से किसी भी टीके की एक या दोनों खुराक ली हैं। इसका मकसद यह पता लगाना है कि आखिर वैक्‍सीन कोविड के संक्रमण की गंभीरता को रोकने में कितने सक्षम हैं।

आईसीएमआर के राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ तरुण भटनागर के मुताबिक, शोध के दौरान ऐसे लोगों के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी, जो कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। कोविड-19 से संक्रमित और अस्‍पतालों में भर्ती मरीजों के टीकाकरण की स्थिति की तुलना उन लोगों से की जाएगी, जो संक्रमण की चपेट में आने के बाद ठीक हो चुके हैं। 

यहां उल्‍लेखनीय है कि देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच बड़ी संख्‍या में ऐसे डॉक्‍टर्स, स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी और अन्‍य संक्रमित हुए हैं, जिन्‍होंने वैक्‍सीन की दोनों डोज ली थी। कोरोना की दूसरी लहर चिकित्सकों के लिए बेहद घातक साबित हुई है, जिसमें अब तक 513 डॉक्टर्स की जान जा चुकी है। संक्रमण से जान गंवाने वाले कई लोगों के बारे में यह भी जानकारी सामने आ रही है कि उन्‍होंने वैक्‍सीन ली थी।
 

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