- नेपाल के नए नक्शे के बाद नई दिल्ली और काठमांडू के रिश्तों में आ गई है तल्खी
- नेपाल ने अपने इस विवादित नक्शे में भारतीय इलाकों को शामिल किया है
- भारत ने स्पष्ट किया है कि उचित माहौल बनाने पर ही होगी सीमा विवाद पर बातचीत
नई दिल्ली : सीमा विवाद पर आपसी संबंधों में जारी तल्खी के बीच भारत और नेपाल अगले सप्ताह उच्च स्तर की वार्ता करने के लिए तैयार हुए हैं। हालांकि इस बातचीत में सीमा विवाद पर चर्चा नहीं होगी। इस बैठक में भारत सरकार के सहयोग से नेपाल चलने वाली परिजयोनाओं की समीक्षा की जाएगी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दोनों देशों के बीच यह बैठक काठमांडू में होगी। इस बैठक में नेपाल की तरफ से वहां के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी और भारतीय पक्ष की अगुवाई राजदूत विनय मोहन कवात्रा करेंगे।
अगले सप्ताह होगी बैठक
बताया जा रहा है कि कोविड-19 के खतरे को देखते हुए यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो सकती है। मीडिया में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस बैठक के लिए अभी तिथि निर्धारित नहीं की गई है फिर भी ऐसी चर्चा है कि यह बैठक 18 अगस्त को आयोजित की जा सकती है। नेपाल में 2015 में आए भूकंप के बाद भारत तराई इलाके सहित इस हिमालयी देश के कई हिस्सों में परियोजनाएं चला रहा है। भारत की तरफ से नेपाल में रेलवे लाइन बिछाने, पुनर्निर्माण कार्य, पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, पॉलिटेक्निक कॉलेज, ऑयल पाइपलाइन, बॉर्डर चेक पोस्ट सहित कई कार्य किए जा रहे हैं। भारत सरकार ने नेपाल में चलने वाली परियोजनाओं के लिए बजट में 800 करोड़ रुपए आवंटित किए।
नेपाल ने पेश किया विवादित नक्शा
गत मई में भारत ने धारचुला और लिपुलेख को जोड़ने वाले 80 किलोमीटर सड़क मार्ग का उद्घाटन किया। इस मार्ग के उद्घाटन के बाद नेपाल में इसका विरोध शुरू हो गया। इसके बाद नेपाल की केपी शर्मा ओली ने देश का नया नक्शा जारी किया जिसमें कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा बताया गया। भारत इन इलाकों को अपना हिस्सा मानता आया है। इन इलाकों को नेपाल में शामिल करने के लिए लाए गए संशोधन विधेयक को संसद से मंजूरी मिल गई। नेपाल के इस कदम को भारत ने अस्वीकार कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने 'दावों का कृत्रिम विस्तार' बताकर इन इलाकों पर नेपाल के दावे को खारिज किया। साथ ही कहा कि आपसी रिश्तों को दोबारा पटरी पर लाने की जिम्मेदारी नेपाल की है।
नक्शे के बाद भारत-नेपाल संबंधों में तल्खी आई
मई के बाद भारत और नेपाल के रिश्तों में तल्खी आई है। संबंधों में आए गतिरोध के बाद यह पहला मौका होगा जब इस प्रस्तावित बैठक में दोनों देशों के उच्च अधिकारी हिस्सा लेंगे। दोनों देशों के संबंधों पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि इस बैठक का ज्यादा मतलब नहीं निकालना चाहिए क्योंकि यह एक 'नियमित बैठक' है। भारत सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि सीमा विवाद पर बातचीत तभी होगी जब ओली सरकार इसके लिए उपयुक्त माहौल बनाएगी।