- चीन के साथ तनाव के निपटारे के लिए जल्द आठवें दौर की वार्ता हो सकती है
- भारत और चीन के बीच सैन्य स्तर की बातचीत अगले कुछ दिनों में होने वाली है
- पूर्वी लद्दाख में करीब 50 हजार भारतीय सैनिक युद्ध तैयारी की स्थिति में तैनात हैं
नई दिल्ली : सही मायनों में देश की अक्षुण्णता और संप्रभुता की रक्षा में भारतीय सेना की कार्रवाई की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में जवान पूरी दृढ़ता से डटे हैं जबकि संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए वार्ता जारी रहेगी।
सेना के शीर्ष कमांडरों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने सेना को देश के 'सर्वाधिक विश्वसनीय व प्रेरक' संगठनों में से एक करार देते हुए कहा कि विपरीत मौसम और शत्रु बलों से भारत की क्षेत्रीय अक्षुण्णता की सुरक्षा करने वाले जवानों को सर्वश्रेष्ठ हथियार, उपकरण और अन्य साजो-सामान उपलब्ध कराना सरकार की राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।
बजट की कमी नहीं
पूर्वी लद्दाख के विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में शून्य से भी नीचे तापमान में करीब 50 हजार भारतीय सैनिक फिलहाल उच्च स्तर की युद्ध तैयारी की स्थिति में तैनात हैं। भारत और चीन के बीच विवाद के समाधान के लिए हुई कई दौर की बाचतीच अब तक बेनतीजा रही हैं। मंत्री ने यह भी कहा कि क्षमता विकास और सेना की अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए बजट की कोई कमी नहीं होगी।
कमांडरों को संबोधित करने के बाद अपने ट्वीट में सिंह ने कहा कि 'सशस्त्र बलों की भुजाओं' को मजबूती देने के लिए सरकार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी और वह सेना में सुधार सुगम करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे सभी क्षेत्रों में उसे बढ़त हासिल हो। सिंह ने ट्वीट किया, 'नई दिल्ली में आज सैन्य कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित किया। मौजूदा सुरक्षा माहौल में भारतीय सेना द्वारा उठाए गए कदमों पर मुझे बेहद गर्व है।'
बातचीत भी जारी
सेना ने कहा कि रक्षा मंत्री ने बल को उच्च स्तरीय संचालनात्मक तैयारियों और क्षमताओं के लिए बधाई दी जिसका अनुभव उन्होंने हाल में अग्रिम मोर्चों के अपने दौरों में खुद किया। सशस्त्र बलों की युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सुधारात्मक कदमों के बारे में बात करते हुए सिंह ने एकीकृत युद्धक समूहों, एकीकृत थियेटर कमान और एकीकृत वायु रक्षा कमान की योजना का उल्लेख करते हुए भारतीय सेना द्वारा भविष्य में लड़ी जाने वाली लड़ाइयों के संदर्भ में उन्हें 'बाजी पलटने' वाला करार दिया।
सेना ने एक बयान में कहा कि सिंह ने अपने संबोधन में गलवान, कश्मीर और पूर्वोत्तर के 'बहादुरों' को अपनी मातृभूमि की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान करने पर श्रद्धांजलि अर्पित की। सेना ने कहा कि रक्षा मंत्री ने उत्तरी सीमा पर मौजूदा स्थिति पर टिप्पणी करते हुए भरोसा जताया कि जवान जहां दृढ़ता से डटे हैं वहीं संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चल रही बातचीत भी जारी रहेगी।
चीन के साथ आठवें दौर की वार्ता
उनकी यह टिप्पणी दोनों सेनाओं के बीच आठवें दौर की सैन्य वार्ता से पहले आई है। वार्ता का नया दौर अगले कुछ दिनों में होने की उम्मीद है। सेना ने सिंह को उद्धृत करते हुए कहा, 'यह हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है कि हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिये बेहद विपरीत मौसम और शत्रु बलों का सामना कर रहे जवानों को सर्वश्रेष्ठ हथियार, उपकरण और साजो-सामान मिले।'
सेना ने एक बयान में कहा कि रक्षा मंत्री ने 'सबसे भरोसेमंद और प्रेरक' में से एक के तौर पर भारतीय सेना में एक अरब से ज्यादा लोगों के विश्वास को भी दोहराया। उन्होंने कहा, 'भारतीय सेना की कार्रवाई वास्तव में हमारे महान राष्ट्र की अक्षुण्णता और संप्रभुता सुनिश्चित करती है।'
पाकिस्तान से लगने वाली सीमा पर स्थिति के संदर्भ में रक्षा मंत्री ने सीमापार आतंकवाद और संघर्ष विराम के उल्लंघन को लेकर सेना की प्रतिक्रिया की तारीफ की और जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पर लगाम लगाने में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और पुलिस के साथ उसके तालमेल की भी सराहना की।