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दिल्‍ली दंगों में पुलिस की भूमिका पर 'न्‍यूयार्क टाइम्‍स' की रिपोर्ट झूठी : IPS एसोसिएशन

Updated Mar 12, 2020 | 23:20 IST

दिल्‍ली दंगों को लेकर पुलिस के आचरण पर सवाल उठाने वाली न्‍यूयार्क टाइम्‍स की रिपोर्ट को आईपीएस एसोसिएशन ने झूठा करार देते हुए इसे भारतीय संस्‍थाओं की प्रतिष्‍ठा धूमिल करने का प्रयास बताया।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
दिल्‍ली के उत्‍तर-पर्वी इलाके में भड़की हिंसा में 50 से अधिक लोगों की जान गई है (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली : राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली के उत्‍तर-पूर्वी इलाके में बीते माह हुए दंगों के दौरान पुलिस की भूमिका को लेकर कई सवाल उठे हैं। इस पर 'न्‍यूयार्क टाइम्‍स' की एक रिपोर्ट भी आई है, जिसकी आईपीएस एसोसिएशन ने अब निंदा की है। एसोसिएशन ने इसे पूरी तरह झूठा और भारतीय संस्‍थााओं की प्रतिष्‍ठा धूमिल करने का प्रयास करार दिया। साथ ही यह भी कहा कि इस देश की पुलिस हर किसी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

आईपीएस एसोसिएशन ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर कहा, 'दिल्‍ली हिंसा को लेकर न्‍यूयार्क टाइम्‍स की रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण, खतरनाक और सफेद झूठ है, जिसमें पुलिस के आचरण पर सवाल उठाए गए हैं। यह आर्टिकल भार‍तीय संस्‍थाओं को नीचा दिखाने और उनकी प्रतिष्‍ठा को धूमिल करने का प्रयास है।'

आईपीएस एसोसिएशन ने कहा कि भारतीय पुलिस बल एक पेशेवर इकाई है, जो अपनी भूमिकाओं का निर्वाह बिना किसी डर या पक्षपात के करती है। 'हमारे कर्मचारी न तो हिन्‍दू हैं न मुसलमान। वे भारतीय हैं और भारतीय लोगों की सेवा करते हैं और संकट के वक्‍त उन्‍होंने खुद अपना जीवन अन्‍य भारतीयों के लिए कुर्बान किया है।'

आईपीएस एसोसिएशन ने कहा, 'पुलिस पर आरोप लगाना बहुत आसान है, लेकिन यह भी याद रखने की जरूरत है कि दंगों के दौरान 2 पुलिसकर्मियों ने जान गंवाई और 70 से अधिक घायल हुए।'

आईपीएस एसोसिएशन की प्रतिक्रिया 'न्‍यूयार्क टाइम्‍स' की उस रिपोर्ट के बाद आई है,‍ जिसमें आरोप लगाया गया है कि 24 फरवरी को जब नॉर्थ-ईस्‍ट दिल्‍ली में दंगा भड़का और लोग एक-दूसरे पर पत्‍थर बरसा रहे थे, उस समय पुलिस की भूमिका निष्‍पक्ष नहीं थी। पुलिस ने एक समुदाय विशेष के लोगों को मदद नहीं दी।

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