- देश के आंतरिक भागों में आतंकी वारदात ना के बराबर
- जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी
- सामाजिक ताने बाने की वजह से आईएस और अल कायदा का प्रभाव कम
आतंकवाद, आतंकी संगठनों के दंश को पूरा विश्व झेल रहा है, भारत भी अछूता नहीं है। लोकसभा में सरकार से सवाल किया गया कि इन ताकतों से देश कितना महफूज है। इस सवाल का गृहराज्यमंत्री नित्यानंद राय ने विस्तार से जवाब देते हुए कहा कि वैश्विक आतंकी संगठनों जैसे आईएसआईए, अल कायदा पूरी दुनिया के लिए चुनौती बने हुए हैं। ये संगठन कट्टरवाद को बढ़ावा दे रहे हैं जोकि निश्चित पर पूरी दुनिया समेत भारत के लिए भी चुनौती हैं। कुछ विदेशी ताकतें जो भारत के खिलाफ शत्रुभाव रखती हैं वो इनके जरिए भारत में कट्टरता को बढ़ावा देने में जुटी हुई हैं। लेकिन भारत में जो सामाजिक ताना बाना है उसकी वजह से कट्टर विचारधारा का प्रभाव बेहद कम है।
सभी एजेंसियों के साझा प्रयास और राजनीतिक इच्छाशक्ति की वजह से बड़े पैमाने पर आतंकवाद की वजह से जो हिंसा होती है उस पर लगाम लगाने में कामयाब हुए हैं। आतंकी संगठनों उनके शुभचिंतकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई भी हो रही है। इसके साथ ही सरकार ने 2020 -2021 के बीच जम्मू कश्मीर के संदर्भ में आंकड़ा भी पेश किया।
भारत के आंतरिक भाग में आतंकी वारदात
वर्ष | आतंकी घटनाएं | शहीदों की संख्या | घायल जवानों की संख्या | आम नागरिकों की मौत | घायल आम नागरिक |
2020 | - | - | - | - | - |
2021 | 1 | - | - | - | - |
जम्मू-कश्मीर में आतंकी वारदात
वर्ष | आतंकी घटनाएं | शहीदों की संख्या | घायल जवानों की संख्या | आम नागरिकों की मौत | घायल आम नागरिक |
2020 | 244 | 62 | 106 | 37 | 112 |
2021 | 229 | 42 | 117 | 41 | 75 |
केंद्र सरकार ने संसद में कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। लेकिन देश में किसी वर्ग को सशंकित होने की आवश्यकता है। आतंकी वारदातों में जिन लोगों को धरपकड़ होती है उसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी बेगुनाह को परेशान ना होना पड़े।