नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। इस याचिका में 15 दिसंबर को हुई हिंसा के दौरान लगी चोटों के लिए छात्र ने 2 करोड़ रुपए की मुआवजे की मांग की है। याचिका में छात्र शाय्यान मुजीब नाम के छात्र ने दावा किया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध के दौरान हुई हिंसा में उसे चोटें आईं।
मुजीब ने अपनी चोटों के लिए 2 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा है। उसका कहना है कि वह लाइब्रेरी में बैठा था। हिंसा में वो गंभीर रूप से घायल हो गया और उसने इलाज पर 2.5 लाख रुपए खर्च किए क्योंकि उसके दोनों पैर फ्रैक्चर हो गए थे।
इसी याचिका पर अदालत ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। उन्हें 27 मई तक अपनी प्रतिक्रिया देनी है।
मुजीब की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि उसके मुवक्किल के दोनों पैर फ्रैक्चर कर दिए हैं। हालांकि केंद्र ने उनके दावे पर आपत्ति जताई।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन 15 दिसंबर को दिल्ली के जामिया नगर के पास हिंसक हो गया था। उस हिंसा में 14 बसें जल गईं थीं और 20 निजी वाहन जल गए थे। 31 पुलिस अधिकारियों सहित 60 लोगों को चोट लगीं और छात्रों सहित कुल 47 लोगों को हिरासत में लिया गया।
2 महीने बाद सामने आ रहे वीडियो
इस बीच, इस हिंसा को लेकर अब नए-नए वीडियो सामने आ रहे हैं। एक वीडियो में लाइब्रेरी में पुलिसवाले छात्रों को पीटते दिख रहे हैं। वहीं भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया में कथित तौर पर पुलिस की बर्बरता को लेकर जो वीडियो आया है, उसमें यह दिखता है कि पुस्तकालय में वास्तव में 'पत्थरबाज' बैठे थे। एक ट्वीट में मालवीय ने वीडियो टैग करके दावा किया कि पुस्तकालय में बैठे छात्रों ने नकाब पहन रखा था और बंद पड़ी किताबों को पढ़ रहे थे।
एक अन्य वीडियो में कुछ लोग हड़बड़ी में लाइब्रेरी में प्रवेश करते हुए नजर आ रहे हैं। कुछ ने अपने चेहरे ढंके हुए हैं। जब ये सभी पुस्तकालय में दाखिल हो जाते हैं तो तब वहां मौजूद लोग मेजों और कुर्सियों से मुख्य द्वार जाम करते हुए देखे जा सकते हैं। तीसरे वीडियो में चेहरे ढंके हुए कुछ लोग बीच सड़क पर नजर आते हैं। कम से कम दो के हाथों में पत्थर हैं।