- आम नागरिकों पर हमले एवं आतंकी घटनाओं पर रोक के लिए स्थानीय प्रशासन ने उठाया कदम
- हाल के दिनों में आतंकियों ने आम नागरिकों को निशाना बनाते हुए 11 लोगों की जान ली है
- इंटरनेट सेवा का इस्तेमाल करते हुए आतंकियों के मददगार अपने आकाओं तक जानकारियां पहुंचाते हैं
श्रीनगर : कश्मीर में आम नागरिकों की हत्याओं एवं आंतकी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए स्थानीय प्रशासन कदम उठाने लगा है। आतंकियों के मंसूबों को असफल करने के लिए श्रीनगर, कुलगाम सहित 11 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। प्रशासन का मानना है कि आतंकियों के मददगार सीमा पार अपने आकाओं एवं हैंडलर्स से संपर्क में हो सकते हैं। आशंका है कि ये मददगार स्थानीय स्थिति की जानकारी उन तक पहुंचा सकते हैं। कश्मीर के जिन इलाकों में इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाई गई है उनमें श्रीनगर के आठ, कुलगाम के दो और पुलवामा का एक इलाका शामिल है। प्रशासन की कोशिश है कि आतंकियों के मददगार डाटा का इस्तेमाल कर जानकारियां बाहर न भेज पाएं।
कश्मीर में हाल के दिनों में 11 लोगों की हत्या
हाल के दिनों में श्रीनगर और उसके आस-पास के इलाकों में आतंकियों ने आम नागरिकों को निशाना बनाते हुए 11 लोगों की हत्याएं की हैं। आतंकी 'टार्गेट किलिंग' कर रहे हैं। आतंकियों का मकसद घाटी में सांप्रदायिक सौहार्द का माहौल बिगाड़ना है। वे समुदायों के बीच नफरत फैलाना चाहते हैं। इसलिए वे आम लोगों को निशाना बना रहे हैं। घाटी में हाल की हत्याओं एवं सुरक्षा हालात का जायजा लेने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली में एक उच्चस्तीय बैठक की। इस बैठक में पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के प्रमुख शामिल थे। इस बैठक में जम्मू कश्मीर में आम नागरिकों की हत्या समेत सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई।
इंटरनेट सेवा का गलत इस्तेमाल करते हैं आतंकियों के मददगार
इंटरनेट सेवा जहां एक ओर आम आदमी के लिए सेवाओं को बेहतर बनाती है, वहीं घाटी में आतंकवादियों के मददगार देश विरोधी हरकते करते हैं। वे सुरक्षा बलों की तैनाती एवं ऑपरेशन से जुड़ी जानकारी उन तक पहुंचाते हैं। वाट्सएप ग्रुप एवं सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए आतंकी एवं उनके समर्थक इस बात को तय करते हैं कि कब, कहां और किसे निशाना बनाना है। यहां तक कि अफवाह फैलाने में सोशल मीडिया एक बड़े औजार का काम करता है। अफवाहों से निपटना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाता है। ऐसे में इस पर रोक लगाने के लिए प्रशासन ने इंटरनेट सेवा बंद करने का फैसला किया है।
अफवाहों पर रोक लगाना चाहता है प्रशासन
पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद की समाप्ति की घोषणा के समय भी यहां इंटरनेट सेवा लंबे समय तक बंद रही। स्थितियां संभलने एवं जन-जीवन के पटरी पर लौटने पर धीरे-धीरे संचार एवं इंटरनेट सेवा पर लगी रोक को बहाल किया गया लेकिन आतंकियों की मददगारों की करतूतों से एक बार फिर इस सेवा पर प्रतिबंध लग रहा है। जाहिर है कि इससे आम नागरिक भी प्रभावित होंगे। हालांकि, सरकार की मंशा इस कदम के पीछे आम नागरिकों को परेशान करने की नहीं बल्कि उन्हें एक सुरक्षित माहौल देने की है।