- अब अपने शगल के लिए लोगों ने खतरनाक जानवरों को पालना शुरू कर दिया है।
- अवैध रूप से लाए गए जानवरों के साथ अनेक प्रकार की वन्यजीव जनित बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। जो जानवरों से इंसानों में फैलते हैं।
- समुद्र के रास्ते, हवाई यात्रा या फिर नेपाल,बांग्लादेश, पूर्वोत्तर क्षेत्र के बार्डर से भारत में तस्करी हो रही है।
Kangaroo In India:भारत में अगर सड़क पर कंगारू घूमते हुए मिले तो एक बार तो भरोसा करना मुश्किल है। लेकिन यह हकीकत है। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में पिछले दिनों कंगारु (Kangaroo) घूमते हुए पाए गए। और जब उनका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो वन विभाग के अधिकारियों ने जलपाईगुड़ी और सिलीगुड़ी से 2 कंगारुओं को कब्जे में लिया। जबकि इसी कार्यवाही में उन्हें एक कंगारू बच्चे का शव भी मिला। इस मामले पर बेलाकोबा वन रेंज के रेंजर संजय दत्ता ने बताया कि कंगारुओं के शरीर पर कुछ गंभीर चोटें थीं और उन्हें आगे के इलाज के लिए बंगाल सफारी पार्क भेज दिया गया है और मामले की जांच के लिए एक टीम का गठन किया गया है।
ऑस्ट्रेलिया में पाए जाने वाला कंगारू यहां कैसे
सबसे बड़ा सवाल यही है कि कंगारू आस्ट्रेलिया और न्यूगिनी में पाए जाते हैं, तो वह भारत में कैसे पहुंच गए। इस बात का जवाब Traffic India के कंट्री हेड (Country Head) साकेत बडोला टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल को देते हैं। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में हाल में पकड़े गए कंगारू ,साफ तौर पर तस्करी का मामला है। इस तरह से बिना आधिकारिक अनुमति के कंगारू देश में लाना अवैध है। तस्करी के जरिए ज्यादातर कंगारू दक्षिण एशियाई देशों से लाए जाने की आशंका है। इन देशों में ऐसे कंगारू फॉर्म हाउस में पाले जाते हैं। और बढ़ती मांग को देखते हुए इनकी सप्लाई की जाती है। पिछले साल भी असम में सिलचर के पास से एक कंगारू पकड़ा गया था। जो कि अवैध तरीके से लाया गया था। उस मामलें में कानूनी कार्रवाई चल रही है और मामला अदालत में है।
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Exotic जानवरों को पालना शगल बना
अब सवाल उठता है कि भारत में कंगारू की तस्करी की क्या जरूरत है। तो भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और वाइल्ड लाइफ एनवॉयरमेंट क्राइम की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार प्राप्त रमेश पांडे ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल को बताया कि देखिए वाइल्फ लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट स्थानीय जीवों के संरक्षण के लिए बनाया गया है। इसमें स्थानीय प्रजातियों को लिस्ट किया गया है। जहां तक विदेशी पशु-पक्षी लाने की बात है तो वह CITES (The Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora)संधि के तहत अपेंडिक्स-1 और अपेंडिक्स-2 की लिस्ट होती है। जिसमें अपेंडिक्स-1 लिस्ट में जानवरों का ट्रेड नहीं हो सकता है। जबकि अपेंडिक्स-2 लिस्ट के जीव-जंतु देश में लाए जा सकते हैं।
लेकिन यह जो मुद्धा है, वह पेट ट्रेड (Pet Trade) का है। अब अपने शगल के लिए लोगों ने खतरनाक जानवरों को पालना शुरू कर दिया है। पहले यह कुत्ते, मछली, तोते तक सीमित था। लेकिन अब लोगों ने कछुए, सांप, शुतुरमर्ग, बाज और कंगारू आदि को रखना शगल बना लिया है। जिसके लिए इन जानवरों की तस्करी की जा रही है। पहले यह शगल पश्चिमी देशों में शुरू हुआ, उसके बाद दक्षिण एशियाई देशों और अब भारत में पहुंच गया है।
कहां से होती है तस्करी
रमेश पांड बताते हैं देखिए भारत में यह प्रमुख रूप से समुद्र के रास्ते, हवाई यात्रा या फिर नेपाल,बांग्लादेश, पूर्वोत्तर क्षेत्र के बार्डर से भारत में पहुंच जाते हैं। इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, इस पर बदोला कहते है कि खास तौर से कस्टम अधिकारियों और एयरपोर्ट पर मौजूद अधिकारियों को जागरूक किया जा रहा है। जिससे वह तस्करी पर लगाम लगा सकें। Traffic ने UNEP के साथ मिल कर इस बारे में एक कार्य योजना बनायी है।
रमेश पांडे कहते हैं कि इस तरह की तस्करी पर लगाम नहीं लगने की एक अहम वजह मौजूदा कानून भी है। क्योंकि मौजूदा वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन कानून में इस बात का प्रावधान नहीं है कि ऐसे जानवरों को घरों से जब्त किया जा सके। मतलब कस्टम विभाग के स्तर पर ही इसे बॉर्डर पर जब्त किया जा सकता है। लेकिन अब सरकार इस कानून में बदलाव ला रही है। जिसके बाद ऐसे जानवरों की जब्ती करना आसान हो जाएगा।
बीमारी फैलने का खतरा
तस्करी के अलावा दूसरी चिंता इस बात की है कि इस तरह से अवैध रूप से लाए गए जानवरों के साथ अनेक प्रकार की वन्यजीव जनित बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। जो जानवरों से इंसानों में फैलते हैं। चूंकि कंगारू जैसे जानवर भारत में नहीं पाए जाते हैं, ऐसे में उनके जरिए दूसरे इलाकों के खतरनाक वायरस भी हमारे देश में पहुंच सकते हैं। जो कि बेहद खतरनाक हो सकता है।
जहां तक बीमारियों की बात है तो कोरोना वायरस (अभी तक की जानकारी के अनुसार), सार्स, एवियन फ्लू, जीका, इबोला जैसे वायरस वन्य जीवों के जरिए ही इंसानों में पहुंची है। जहां तक इकोसिस्टम में बदलाव की बात है तो कंगारू से वैसा खतरा नहीं है । क्योंकि यह बड़ा जानवर है, और ये आसानी से देखा जा सकता हैं। लेकिन कई ऐसे जानवर हैं जिन्हें तस्करी के जरिए भारत लाया जाता है और जो यहां के इकोसिस्टम को तबाह कर सकते हैं। जैसे की चंडीगढ़ की सुखना झील में कुछ अमेरिकन कछुओं को लोगों ने छोड़ दिया है, जो अब वहां स्थानीय कछुओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
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