- 1980 में पिनाका सिस्टम पर DRDO ने शुरू किया था काम
- इसके 10 साल बाद पिनाका मार्क - 1 का हुआ था सफल परीक्षण
- 45 किलो मीटर दूर स्थित दुश्मन के बंकर को कर सकता है तबाह
भारत अपने महत्वपूर्ण हथियारों में से एक पिनाका रॉकेट को लगातार आधुनिक बना रहा है। इसे लेकर राजस्थान के पोखरण में पिछले कुछ दिनों से लगातार परीक्षण जारी है। जिसमें इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है। पिनाका के नए अवतार से पाकिस्तान और चीन जरूर खौफ में होंगे, कारण इस सिस्टम के जरिए दूर स्थित दुश्मन के बंकरों को ये रॉकेट मिनटों में उड़ा सकता है।
पिनाका का नया अवतार
पिनाका के नए अवतार के टेस्ट के लिए विभिन्न रेंजों के कुल 24 ईपीआरएस रॉकेट दागे गए हैं। इस दौरान सभी रॉकेटों अपने रेंज, सटीकता से लेकर हर पैमाने पर सफल रहे हैं। डीआरडीओ के अधिकारियों ने इस परीक्षण को लेकर कहा- "राजस्थान में पोखरण फायरिंग रेंज में पिनाका एक्सटेंडेड रेंज रॉकेट का परीक्षण चल रहा है और इन परीक्षणों के दौरान कई सफल परीक्षण की गए हैं।"
क्या है खूबियां
भगवान शंकर के धनुष 'पिनाक' के नाम पर इसका नाम रखा गया है। 280 किलो वजनी और 15 फुट लंबी यह मिसाइल 45 किलोमीटर तक हमला कर सकती है। इसमें 100 किलो तक का एमूनेशन लोड किया जा सकता है। इस सिस्टम को फायर करने के बाद भी हवा में ही इसकी दिशा बदली जा सकती है। इसे गाइडेड मिसाइल की तरह से तैयार किया गया है। दुश्मन के बंकर, तोप, गाड़ी, बेड़े किसी को भी यह मिसाइल तबाह कर सकती है। साथ ही रडार के लिए इसे पकड़ना मुश्किल होगा। जब तक रडार इसे पकड़ेगा तब तक यह 4-5 किलोमीटर तक अपनी दिशा बदल चुका होगा। पहले यह खूबी सिर्फ बोफोर्स में थी। यह रॉकेट सिस्टम पूरी तरह से स्वदेशी है।
कारगिल वॉर में दिखा चुका है अपना जलवा
1999 में हुए कारगिल वॉर के दौरान पिनाका दुश्मनों पर कहर बनकर टूटा था। पाकिस्तानी सैनिक पहाड़ों की ऊंची चोटियों पर बंकर बनाकर भारतीय सेना पर जब गोलियां बरसा रहे थे, तब पिनाका ने उनके बंकरों को तबाह कर दिया था। यह लड़ाई दो महीने तक चली थी। कारगिल युद्ध में बोफोर्स के साथ मिलकर पिनाका दुश्मनों पर कहर बनकर टूटा था। इसी युद्ध के बाद भारत ने इसकी सफलता को देखते हुए इसे और विकसित करने पर काम शुरू कर दिया था।
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