- हालिया बिहार उपचुनाव में जेडीयू ने दोनों सीटों पर किया था कब्जा
- कांग्रेस और आरजेडी के अलग-अलग चुनाव लड़ने का जेडीयू को मिला फायदा
- अगर आरजेडी तथा कांग्रेस और एलजेपी मिलकर लड़ते चुनाव तो अलग होते समीकरण
नई दिल्ली: बिहार विधान सभा उपचुनाव में जेडीयू ने दोनों सीट कुशेश्वर स्थान और तारापुर रिटेन तो कर लिया है लेकिन रिजल्ट के आंकड़े कुछ खास मैसेज दे रहा है जिसे समझना बहुत जरुरी है। दोनों सीटों का विश्लेषण रिजल्ट के आंकड़ों पर आधारित है।
कुशेश्वर स्थान- कुशेश्वर स्थान में जेडीयू ने अपनी सीट बचा ली है। दूसरे नंबर पर रही आरजेडी। एक नजर कुश्वशर स्थान के आंकड़ों पर-
पार्टी | वोट | वोट प्रतिशत |
जेडीयू | 59887 | 45.72 |
आरजेडी | 47192 | 36.02 |
एलजेपी (चिराग गुट) | 5623 | 04.29 |
कांग्रेस | 5603 | 04.28 |
जन अधिकार पार्टी (पप्पू यादव) | 2211 | 01.69 |
आंकड़ों के हिसाब से जेडीयू को 59887 वोट मिले और आरजेडी को 47192 और देखिए अब असली खेल। यदि आरजेडी के वोट में एलजेपी , कांग्रेस और जैप के वोट को जोड़ दें तो कुल वोट बनता है 60629 और इसका मतलब जेडीयू चुनाव हार जाती। वोट फीसदी के मामले में जेडीयू को मिलता है 45.72 और अन्य चारों को जोड़ दें तो कुल फीसदी बनता है 46. 28 फीसदी।
तारापुर
तारापुर में भी जेडीयू ने अपनी सीट बचा तो ली लेकिन कहानी यहाँ भी कुशेश्वर स्थान जैसी ही है। दूसरे नंबर पर यहाँ भी आरजेडी ही थी।
पार्टी | वोट | वोट प्रतिशत |
जेडीयू | 79090 | 46.62 |
आरजेडी | 75238 | 44.35 |
एलजेपी (चिराग गुट) | 5364 | 03.16 |
कांग्रेस | 3590 | 02.12 |
आंकड़ों के हिसाब से जेडीयू को 79090 वोट मिले और आरजेडी को 75238 और देखिए अब असली खेल। यदि आरजेडी के वोट में एलजेपी और कांग्रेस के वोट को जोड़ दें तो कुल वोट बनता है 84192 यानी जेडीयू यहाँ भी चुनाव हार जाती। वोट फीसदी के मामले में जेडीयू को मिलता है 46. 62 और अन्य दोनों को जोड़ दें तो कुल फीसदी बनता है 49. 63 फीसदी।
पाँच बड़ी बातें
पहला , एनडीए को चिराग पासवान के एलजेपी को अपने खेमे में लाना ही होगा यदि 2024 लोक सभा चुनाव में अपनी जीत को बिहार में पक्का करना चाहती है क्योंकि बिहार आंकड़े यही कहते हैं कि राम विलास पासवान की पार्टी का असली हकदार चिराग पासवान की पार्टी ही होगी ना कि पशुपति पारस की पार्टी एलजेपी।
दूसरा , आरजेडी के तेजस्वी यादव एनडीए को तभी टक्कर दे सकते हैं जब उनके महागठबंधन में एलजेपी और कांग्रेस होगी, अन्यथा महागठबंधन का हाल फिर से वही होगा जो 2019 लोक सभा चुनाव में हुआ।
तीसरा , एलजेपी राम विलास की पार्टी के चिराग पासवान को तय करना होगा कि वो हमेशा स्पॉयलर बने रहना चाहते हैं या विनर भी बनना चाहते हैं। यदि चिराग विनर बनना चाहते हैं तो उन्हें तय करना होगा कि वो एनडीए में रहेंगे या महागठबंधन में। स्वाभाविक है कि वो एनडीए को प्रेफर करेंगे।
चौथा , कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ के अपना अस्तित्व बचा नहीं पाएगी इसलिए उसे भी महागठबंधन में जाना ही होगा क्योंकि कांग्रेस के पास ऑप्शन सिर्फ एक ही है और वो है आरजेडी का महागठबंधन।
पाँचवाँ , मोदी मास्टर कार्ड जो सिर्फ एनडीए के पास है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोक सभा चुनाव में 5 से 10 फीसदी वोट को ट्रांसफर करने की ताकत रखते हैं। महागठबंधन के पास मोदी मास्टर कार्ड को कटाने के लिए अभी तक कोई कार्ड नहीं है। हाँ एक बात जरूर है कि एनडीए चिराग पासवान को अपने गठबंधन में वापस जरूर लाएगी भलेही जेडीयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विरोध क्यों न करें।
अंत में बिहार विधान सभा उप चुनाव का पोलिटिकल मैसेज क्या है ? इसका उत्तर आंकड़ों पर आधारित है और होगा क्या इसका असली उत्तर तो मिलेगा 2024 के लोक सभा चुनाव में ही।