- विशाखापत्तनम के पास एलजी पॉलिमर्स के प्लांट से लीक हुई थी गैस
- ज्वलनशील जहरीली गैस के चलते कम से कम 19 लोगों की हुई मौत
- एक हजार से ज्यादा लोग हुए प्रभावित, घटना की हो रही है जांच
नई दिल्ली: विशाखापत्तनम के पास एलजी पॉलिमर्स के प्लांट से जहरीली ज्वलनशील गैस लीक होने के बाद पॉलिमर प्लांट से लगभग 13,000 टन स्टाइरीन को दक्षिण कोरिया में कंपनी के मुख्यालय में वापस भेजा जा रहा है। बीते दिनों गैस लीक में लोगों की मौत और कई लोगों के इसके प्रभाव में बीमार होने की घटना के बाद यह कदम उठाया गया है और जिला कलेक्टर ने इस बारे में जानकारी दी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार शुरुआती जांच में सामने आया था कि गैस को 20 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टोर किया जाना था लेकिन उसे इस तापमान पर नहीं रखा गया था। इसके अलावा संयंत्र में जरूरत के हिसाब से कर्मचारी भी मौजूद नहीं थे। संयंत्र को ठंडा रखने के लिए भी जरूरी पर्याप्त इंतजाम नहीं थे और लॉकडाउन के पास का इस्तेमाल नहीं किया गया था।
कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के कारण बंद हुई केमिकल यूनिट को गुरुवार सुबह फिर से शुरू किया गया था।कुछ समय बाद टैंकों में जमा गैस लीक होने लगी और तीन किलोमीटर के दायरे में फैल गई।
यूं हवा में घुला ज़हर: विशाखापत्तनम के आर आर वैंकटपूरा इलाके में रात में ढ़ाई बजे गैस का रिसाव शुरू हुआ। इस दौरान लोग गहरी नींद में सो रहे थे। लेकिन जब उन्हें सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई तो घरों के बाहर भागे। गैस का असर इतना अधिक था कि लोग बेहोश हो गए। कुछ लोग ऐसे भी थे जो मोटर साइकिल से उस इलाके को छोड़ना चाहते थे लेकिन बेहोश होकर रास्ते में ही मोटर साइकिल से गिर पड़े। प्रशासन को जब जानकारी मिली तो लोगों को जगाया गया और अस्पताल पहुंचाने की कार्रवाई शुरू हुई।
एनजीटी ने लिया संज्ञान: विशाखापत्तनम गैस लीक केस की घटना पर एनजीटी ने खुद संज्ञान लिया है और सुनवाई के लिए शुक्रवार 8 मई का दिन तय किया गया है। गैस लीक केस में एक पीठ सुनवाई करेगी। इस घटना में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई है और एक हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।