- WHO के PM 2.5 मानकों का पालन कर लिया जाय तो सबसे ज्यादा फायदा भारत को मिलेगा।
- साल 2019 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया है।
- वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली में सबसे ज्यादा मौतें हुईं।
नई दिल्ली: वायु प्रदूषण से हालात रोजाना बदतर होते जा रहे हैं। हालात यह है कि अब यह केवल लोगों की बीमारियों का शिकार नहीं कर रहा है। बल्कि उनकी उम्र भी घटा रहा है। पूरी दुनिया में इसका सबसे ज्यादा असर, भारत पर हो रहा है। The Energy Policy Institute at the University of Chicago (EPIC)की रिपोर्ट के अनुसार अगर सख्त वायु प्रदूषण नियंत्रण की नीति अपनाई जाय तो देश के 5 राज्यों के लोगों के जीवन में 7.3 से 9.7 साल तक लोगों की उम्र बढ़ाई जा सकती है।
इन राज्यों पर सबसे ज्यादा असर
EPIC इंडिया द्वारा तैयार किए गए एयर क्वॉलिटी इंडेक्स अनुसार भारत दुनिया का सबसे प्रदूषित देश है। जहां 48 करोड़ लोग यानी 40 फीसदी आबादी उत्तर गंगा की घाटी में रहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार अगर इस इलाके में प्रदूषण का घनत्व 2019 के स्तर पर भी बना रहा तो लोगों की उम्र 9 साल तक घट जाएगी। सितंबर 2021 में आई रिपोर्ट के अनुसार चिंता की बात यह है कि प्रदूषण का स्तर अब केवल गंगा की घाटी तक सीमित नहीं रह गया है। बल्कि यह महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश राज्यों में फैल गया है। रिपोर्ट के अनुसार अगर इन दोनों राज्यों की जीवन प्रत्याशा को साल 2000 के आधार पर तुलना की जाय तो वह 2.5 से 2.9 वर्ष तक घट गई हैं।
प्रदूषण पर सख्ती करने पर इतनी बढ़ेगी उम्र
रिपोर्ट के अनुसार अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन के PM 2.5 मानकों का पालन कर लिया जाय तो सबसे ज्यादा फायदा भारत को मिलेगा। उसके अनुसार ऐसा होने पर भारत के लोगों की उम्र 2 साल से 9 साल से ज्यादा तक बढ़ सकती है। इसके तहत दिल्ली-एनसीटी के लोगों की उम्र सबसे ज्यादा 9.7 साल तक बढ़ सकती है। इसके बाद उत्तर प्रदेश के लोगों की 9.5 साल, बिहार के लोगों की 8.8 साल, हरियाणा के लोगों की 8.4 साल और झारखंड के लोगों की 7.3 साल बढ़ जाएगी।
2024 तक मिल सकती है ये राहत
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया है। इसके तहत 2017 के पार्टिकल प्रदूषण स्तर को 2024 तक हासिल करने लक्ष्य रखा है। इसके तहत उसे अपने मौजूदा स्तर पर 20-30 फीसदी तक प्रदूषण को घटाना होगा। अगर सरकार ये लक्ष्य हासिल कर लेती है तो पूरे देश के लोगों की जीवन प्रत्याशा 1.7 वर्ष और दिल्ली के लोगों की उम्र में 3.1 वर्ष की बढ़ोतरी हो जाएगी।
वायु प्रदूषण से इन शहरों में सबसे ज्यादा मौतें
ग्रीन पीस 2020 की रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली में सबसे ज्यादा मौतें हुईं। इस दौरान दिल्ली में 54 हजार लोगों की वायु प्रदूषण (PM 2.5 Air Pollution)से हुई बीमारियों के कारण मौतें हुईं। इसी तरह मुंबई में 25 हजार, बंगलुरू में 12 हजार, हैदराबाद में 11 हजार, चेन्नई में 11 हजार और लखनऊ में 6700 लोगों की मौतें हुईं ।