- कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पहले रथ यात्रा पर रोक लगाई थी
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले में संशोधन के लिए कोर्ट में दायर की गईं अर्जियां
- रथ यात्रा में शामिल होने के लिए हर साल लाखों की संख्या में जुटते हैं श्रद्धालु
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के पुरी में हर साल निकलने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा को अनुमति दे दी है। शर्तों के साथ इस रथ यात्रा को अनुमति दी गई है। इस साल रथ यात्रा मंदिर कमेटी, राज्य और केंद्र सरकार के आपसी तालमेल से होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोगों की सेहत के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य (ओडिशा) भी यात्रा या उत्सव को रोक सकते हैं अगर उन्हें लगता है कि यह हाथ से निकल रहा है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबडे ने पुरी रथ यात्रा के आयोजन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया था।
केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पुरी में हर साल निकलने वाली 'भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा' की परंपरा सदियों पुरानी है। सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए श्रद्धालुओं को शामिल किए बगैर इसे निकलने की अनुमति दी जा सकती है। मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा, 'यह कोरोड़ों लोगों की आस्था का मामला है। भगवान जगन्नाथ यदि कल नहीं आएंगे तो परंपरा के मुताबिक वह फिर 12 वर्षों तक बाहर नहीं निकल सकते।'
कोरोना के चलते लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए गत 18 जून के अपने फैसले में इस वार्षिक एवं ऐतिहासिक 'रथ यात्रा' पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि 'यदि हम रथ यात्रा की इजाजत देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।' बता दें कि इस वार्षिक 'रथ यात्रा' में शामिल होने के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।
कोविड-19 के खतरे को देखते हुए एससी ने दिया था फैसला
कोर्ट का कहना था कि भक्तों के हुजूम को देखते हुए कोविड-19 के संक्रमण के फैलने का खतरा बना रहेगा। इसे देखते हुए कोर्ट ने गत 18 जून को 'रथ यात्रा' निकालने पर रोक लगा दिया। अदालत के इस फैसले में संशोधन के लिए अर्जियां लगाई गईं। अर्जियों में कोर्ट से अपने पहले के आदेश में संशोधन करने की मांग की गई। अर्जियों में रथ यात्रा की अनुमति केवल पुरी में देने की मांग की गई। इन अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एस रवींद्र भट्ट सुनवाई करेंगे।
एक जुलाई को संपन्न होना है कार्यक्रम
बता दें कि पुरी में नौ दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक कार्यक्रम में लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं और भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को मिलकर दो बार हाथों से खींचते हैं। यह उत्सव 23 जून से शुरू होकर एक जुलाई को संपन्न होने वाला है।
ओडिशा सरकार पर दबाव
ओडिशा सरकार का कहना है कि वह श्रद्धालुओं के एकत्रित हुए बगैर जगन्नाथ रथ यात्रा निकालने के गजपति महाराजा दिब्यसिंह देब के अनुरोध पर कानूनी रूप से 'अनुकूल कदम' उठाएगी। कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार जनभावनाओं के दबाव का सामना कर रही है। ओडिशा के कानून विभाग ने एक बयान में कहा, 'जब माननीय उच्चत्म न्यायालय में 2020 की रिट याचिका संख्या 571 सुनवाई के लिये आएगी तो राज्य सरकार गजपति महाराज के अनुरोध पर कानूनी रूप से अनुकूल कदम उठाएगी।'