- संत राम सिंह ने किसान आंदोलन के समर्थन में की कथित तौर पर आत्महत्या
- संत राम सिंह के अनुयायियों ने नहीं करने दिया उनके शव का पोस्टमार्टम
- किसी भी तरह का बयान देने से बच रही है पुलिस
नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों को लेकर देश के कुछ हिस्सों में किसान पिछले कई दिनों से प्रर्दशन कर रहे हैं। किसानों को लगातार समाज के विभिन्न तबकों से समर्थन मिल रहा है। इस आंदोलन का हल निकालने के लिए सरकार औऱ किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है। इस बीच सरकार के रवैये से नाराज होकर किसानों के समर्थन कर रहे बाबा राम सिंह ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। उनकी आत्महत्या के बाद बाबा के समर्थकों और अनुयायियों में काफी गुस्सा है।
सिंघू बॉर्डर के पास की थी आत्महत्या
संत राम सिंह के पार्थिव देह को बुधवार रात करनाल के सिंघ्रा गांव के नानकसर गुरुद्वारे ले जाया गया था जहां उनके अनुयायी बड़ी संख्या में जमा हो गए। उनका अंतिम संस्कार आज होगा। पुलिस के मुताबिक, संत राम सिंह ने बुधवार को सिंघू बॉर्डर के पास कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने पंजाबी में हस्तलिखित एक कथित पत्र भी छोड़ा है, जिसमें लिखा है कि वह ''किसानों का दर्द'' सहन नहीं कर पा रहे हैं। पुलिस उस पत्र की जांच कर रही है।
नई करने दिया पोस्टमार्टम
संत राम सिंह की कथित खुदखुशी को लेकर अभी भी कई अनसुलझे सवाल हैं। खुशकुशी के बाद जब उनका शव करनाल के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया तो उनके अनुयायियों ने डॉक्टरों को पोस्टमार्टम नहीं करने दिया जिसके बाद उनका शव दिल्ली-करनाल नेशनल हाईवे से कुछ ही किमी. दूर स्थित सिंगड़ा गुरुद्वारे में रखा गया। मौके पर उनके पास से जो सुसाइड नोट मिला है उसकी फोरेंसिंक जाच की जा रही है। यह नोट पंजाबी भाषा में है। पुलिस अभी भी इस खुशकुशी के मामले में कुछ भी कहने से बच रही है और फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
विपक्ष का आरोप
विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अपने ही लोगों के लिए क्रूर और असंवेदनशील हो रही है तथा मांग की कि सरकार तत्काल उनकी मांगें माने। सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट किया, 'संत बाबा राम सिंह जी नानकसर सिंघ्रा करनाल वाले को श्रद्धांजलि दी और अंतिम दर्शन किए। संत जी ने अपने अधिकार हासिल करने के लिए सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में बलिदान दिया है।'