- गलवान घाटी में हुई हिंसा पर भारत की तरफ से जारी हुआ आधिकारिक बयान
- विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन की तरफ से यथास्थिति में बदलाव की हुई कोशिश
- घटना के बाद सीमा पर तनाव, भारत ने कहा अपनी संप्रभुता की रक्षा हर हाल में करेंगे
नई दिल्ली : सोमवार रात गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ हुई हिंसक झड़प पर विदेश मंत्रालय ने बयान दिया है। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि 15 जून की रात गलवान घाटी में एक हिंसक झड़प हुई। यह झड़प इसलिए हुई क्योंकि चीन की सेना ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए यथास्थिति में बदलाव करने की कोशिश की। इस झड़प में दोनों तरफ नुकसान पहुंचा। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि चीन की तरफ से उच्च स्तर पर ईमानदारी से यदि करार का अनुसरण किया गया होता तो इस स्थिति से बचा जा सकता था।
हमारी गतिविधियां भारतीय क्षेत्र में
मंत्रालय ने आगे कहा, 'सीमा प्रबंधन की अपने जिम्मेदार रुख को देखते हुए भारत का स्पष्ट रूप से मानना है कि उसकी सभी गतिविधियां हमेशा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय इलाके में होती हैं। हम भी चीन की तरफ से ऐसा ही उम्मीद करते हैं। सीमा पर शांति एवं सद्भाव कायम होनी चाहिए, हम इस पर दृढ़ संकल्पित हैं। साथ ही हमारा मानना है कि मतभेद का हल बातचीत के जरिए निकलना चाहिए। हम यह भी कहना चाहते हैं कि हम भारत की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण रूप से कटिबद्ध भी हैं।'
कर्नल और दो जवान शहीद
बता दें कि चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में एक भारतीय अफसर और दो जवान शहीद हुए हैं। समाचार एजेंसी एएनआई ने सेना के सूत्रों के हवाले से कहा कि पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 के समीप गलवान घाटी में यह झड़प हुई। इससे पहले सेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में सेना ने अपने एक अधिकारी और दो जवानों को खो दिया। सेना ने कहा कि इस झड़प में चीन की सेना में भी नुकसान हुआ। हालांकि सेना ने बाद में अपना एक बयान जारी किया और उसमें चीन को हुए नुकसान की बात का जिक्र नहीं किया गया।
45 साल बाद हुई ऐसी छड़प
बताया जा रहा है कि दोनों देशों के बीच सीमा पर 45 साल के बाद इस तरह की हिंसक झड़प हुई है। इससे पहले चीन की पीएलए के साथ साल 1975 में झड़प हुई थी। अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में चीन के सैनिकों ने घात लगाकर हमला किया था और इस हमले में भारत के चार जवान शहीद हुए। इसके बाद सीमा पर चीन की तरफ से घुसपैठ की घटनाएं होती रही हैं। गश्ती के दौरान दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आते रहे हैं लेकिन हिंसक संघर्ष एवं टकराव की स्थिति नहीं आ पाती थी। हिंसा की यह घटना सामने आने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को दो सेना के शीर्ष कमांडरों के साथ दो बार बैठकें कीं।