नई दिल्ली: मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक (Satyapal Malik) ने एक बार फिर किसानों के पक्ष में आवाज उठायी है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार को प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने के संबंध में ईमानदारी से काम करना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी रूप देना होगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जब किसानों के विरोध पर चर्चा करने के लिए वो उनसे मिले तो उन्होंने "अहंकार" दिखाया, उन्होंने कहा कि उनका तर्क समाप्त हो गया था।
सतपाल मलिक ने हरियाणा के चरखी दादरी में एक सामाजिक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, 'मैं जब किसानों के मामले में प्रधानमंत्री जी से मिलने गया, तो मेरी पांच मिनट में ही लड़ाई हो गई उनसे, वो बहुत अभिमान में थे।
सत्यपाल मलिक ने फोगट खाप कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा कि किसानों का आंदोलन केवल स्थगित कर दिया गया है और अगर कोई अन्याय हुआ है तो इसे फिर से शुरू किया जाएगा। मलिक ने कहा कि किसानों को अपने पक्ष में निर्णय लेने के लिए कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद अवसर का लाभ उठाना चाहिए।
कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले और किसानों की लंबित मांगों के बारे में पूछे जाने पर, मलिक ने मीडिया से कहा: "पीएम ने जो कहा उसके अलावा और क्या कह सकते थे ... किसानों को अपनी मांगों को पूरा करना चाहिए। हमें एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी प्राप्त करने के लिए उनकी मदद लेनी चाहिए कुछ ऐसा करने के बजाय जो सब कुछ खराब कर देता है।"
'अगर सरकार को लगता है कि आंदोलन समाप्त हो गया है,तो ऐसा नहीं है'
उन्होंने कहा, "सरकार को किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए ईमानदारी से काम करना चाहिए और एमएसपी पर कानूनी ढांचा (गारंटी) देना चाहिए यह सरकार की जिम्मेदारी है।" उन्होंने कहा, "लेकिन अगर सरकार को लगता है कि आंदोलन समाप्त हो गया है, तो ऐसा नहीं है। इसे केवल निलंबित कर दिया गया है। अगर किसानों के साथ अन्याय हुआ है या कोई ज्यादती हुई है, तो फिर से आंदोलन शुरू हो जाएगा।"