- प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई जा रही हैं श्रमिक स्पेशल ट्रेनें, सरकारों की मजदूरों से अपील- पैदल न चलें
- बड़ी संख्या में मजदूर पैदल ही अपने गंतव्य जा रहे हैं।
- पूरे देश में 40 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर एक राज्य से दूसरे राज्य में करते हैं काम
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात आठ बजे देश के नाम संबोधन में कहा कि प्रवासी मजदूरों के दुख और पीड़ा को सरकार समझती है। देश की बुनियाद में अहम योगदान करने वालों के लिए सरकार फिक्रमंद है। उन्होंने बताया कि किस तरह से जनधन, आधार और मोबाइल से उन लोगों तक मदद पहुंची जिन्हें ज्यादा जरूरत थी। लेकिन उसके साथ ही कुछ ऐसी तस्वीरें भी सामने आ रही हैं जो सवाल भी खड़े करती हैं कि क्या सरकारें जमीनी स्तर पर कहीं चूक तो नहीं रही है।
'यही हमारी कहानी है'
जो हम बताने जा रहे हैं वो किसी के लिए कहानी हो सकती है। लेकिन कड़वी हकीकत के साथ एक ऐसा परिवार अपने गंतव्य की तरफ चला जिसके पास पैदल चलने के अलावा और कोई चारा नहीं था। मध्य प्रदेश का रहने वाला एक मजदूर परिवार महाराष्ट्र के नासिक में काम करता था। लेकिन लॉकडाउन की वजह से जब काम धंधा बंद हो गया तो उसके पास खाने की दिक्कत हो गई। सरकारी मदद जब तक मिलती रही तब तक तो ठीक था। लेकिन उसके लिए मुश्किल भरे दिन की शुरुआत हो गई। वो मजदूर अपनी गर्भवती पत्नी के साथ अपने घर सतना के लिए निकल पड़ा। वो बताता है कि पैदल चलने की वजह से उसकी पत्नी ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दिया और सिर्फ दो घंटे बाद ही उन्होंने 150 किमी की दूरी तय की।
सरकार की दलील
मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक कार्यक्रम में कहा था कि उनकी सरकार मजदूरों को किसी तरह की दिक्कत न हो उसके लिए खास इंतजाम कर रही है। इस बात की कोशिश की जा रही है कि मजदूरों को मध्य प्रदेश और संबंधित राज्यों के बॉर्डर तक पहुंचाया जाए। इसके अलावा इस बात की कोशिश कर रही है कि राज्य में किसी मजदूर को भूखा न सोना पड़े। लेकिन उनके राज्य के साथ परेशानी है दूसरे राज्यों के प्रवासी मजदूरों के लिए मध्य प्रदेश ट्रांजिट रूट की तरह है जिसकी वजह से हमारी परेशानी बढ़ी है।