- बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने गांव, घर के लिए निकल पड़े हैं
- सरकार ने ट्रेनें तो चला दी हैं पर प्रवासियों की मुश्किलें खत्म नहीं हुई हैं
- केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि प्रवासियों की मदद की जाए
नई दिल्ली : कोरोना वायरस/लॉकडाउन के कारण देशभर में उपजे हालात से सबसे अधिक प्रवासी मजदूर परेशान हुए हैं, जिनका न केवल रोजगार छिन गया है, बल्कि साधन के अभाव में उनके लिए अपने गांव-घरों की ओर लौट पाना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे में हजारों की संख्या में मजदूर पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव-घरों की ओर निकल पड़े हैं। वे रेलवे ट्रैक, हाइवे से होते हुए अपने घरों को लौट रहे हैं, जिस दौरान उनके साथ हादसे भी पेश आ रहे हैं। इस बीच केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखकर इस संबंध में महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं।
'ट्रेनों, बसों से ही हो घर वापसी'
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को पत्र लिखकर कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सड़कों और रेलवे पटरियों पर प्रवासी मजदूरों को चलने न दिया। सड़कों व रेलवे ट्रैक पर अगर प्रवासी मजदूर दिखते हैं तो उन्हें भोजन व आश्रय मुहैया कराया जाए। राज्य सरकारें यह भी सुनिश्चित करें कि वे ट्रेनों या सरकार संचालित बसों से ही अपन गंतव्य को लौटें, क्योंकि श्रमिक स्पेशल ट्रेनें उनके लिए ही चलाई गई हैं और रोजाना 100 से ज्यादा ऐसी ट्रेनें चलती हैं।
'मजदूरों को आश्रय दें'
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से लिखे पत्र में यह भी कहा गया है कि यह पूरी तरह राज्यों की जिम्मेदारी है कि प्रवासी मजदूरों को आश्रय व भोजन मुहैया कराया जाए और उन्हें उनके गंतव्यत तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। प्रवासी मजदूर अगर सड़कों या रेलवे ट्रैक पर चलते दिखते हैं तो उन्हें समझा-बुझाकर पास के आश्रय स्थलों में ले जाया जाए और उनके खाने-पीने की तब तक व्यवस्था की जाए जब तक कि वे अपने गंतव्य तक जाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें या बस न पकड़ लें।
'यह राज्यों की जिम्मेदारी'
उन्होंने कहा कि केंद्र ने प्रवासी मजदूरों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और बसों से यात्रा की अनुमति दे दी है, अब यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है कि जो प्रवासी मजदूर अपने प्रदेश जाना चाहते हैं, उनके जाने की व्यवस्था की जाए। रेलवे की ओर से फिलहाल रोजाना सौ से अधिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। आवश्यकता पड़ने पर और अधिक ट्रेनें चलाई जाएंगी। सरकारें यह सुनिश्चित करें कि अब कोई प्रवासी मजदूर सड़कों और रेलवे ट्रैक पर पैदल न चले। उन्हें श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और विशेष बसों में ही बिठाया जाए।