- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मीटिंग के बाद अमेरिका के रूख में बड़ा बदलाव आया है।
- भारत अपनी जरूरत का एक से दो फीसदी तेल रूस से जबकि 10 फीसदी तेल अमेरिका से आयात करता है।
- अमेरिका और भारत के बीच 2+2 वार्ता चल रही है
Modi-Biden Meet: रूस से भारत के तेल खरीदने पर अमेरिका के रूख में बड़ा बदलाव आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जो बाइडेन की सोमवार को हुई वर्चुअल मीटिंग के बाद अमेरिकी सरकार ने अहम बयान दिया है। व्हाइट हाउस प्रवक्ता जेन साकी (Jen Psaki) ने कहा है कि रूस से एनर्जी आयात पर प्रतिबंध नहीं है और भारत अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं कर रहा है।
मोदी-बाइडेन मीटिंग के बाद बदला रूख
अमेरिका के रूख में यह अहम बदलाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की सोमवार की हुई वर्चुअल मीटिंग के बाद आया है। जेन साकी ने कहा कि ऊर्जा आयात पर प्रतिबंध नहीं है और वे हमारे प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं करते हैं। दोनों नेताओं ने रूस और यूक्रेन से संबंधित सभी मुद्दों पर बात की। यह एक बहुत ही स्पष्ट वार्ता थी। मुझे लगता है कि आपने प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणियों पर भी गौर किया होगा। जहां तक ऊर्जा से संबंधित मुद्दे की बात है तो यह निश्चित रूप से चर्चा का विषय था। हम भारत के बारे में जानते हैं , हमने भारत को विशेष रूप से कुछ भी करने के लिए नहीं कहा है। हम बहुत खुली बातचीत कर रहे हैं। हम जानते हैं कि हमने जो किया है, वह सभी देश करने में सक्षम नहीं हैं।
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बाइडेन ने कहा-भारत के साथ सहयोग बढ़ाने को तैयार
हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वर्चुअल बैठक यह जरूर कहा कि रूस से तेल की खरीद बढ़ाना भारत के हित में नहीं है और वह ऊर्जा आयात में और विविधता लाने में भारत की मदद करने को तैयार हैं। साकी ने मोदी-बाइडन वार्ता के तुरंत बाद संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा कि वार्ता रचनात्मक रही और भारत के साथ संबंध अमेरिका और राष्ट्रपति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। अभी भारत अपनी जरूरत का एक से दो फीसदी तेल रूस से जबकि 10 फीसदी तेल अमेरिका से आयात करता है।
2+2 वार्ता में इन मुद्दों पर हुई बातचीत
इस बीच दोनों देशों ने सोमवार को चौथी 'टू प्लस टू' मंत्रिस्तरीय बैठक की, जिसमें दोनों पक्षों ने यूक्रेन सहित मौजूदा घटनाक्रमों पर चर्चा की और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच इस क्षेत्र में अपने सहयोग की समीक्षा की। 'टू प्लस टू' वार्ता में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और उनके भारतीय समकक्षों एस जयशंकर और राजनाथ सिंह ने भाग लिया। जयशंकर ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा कि हमने अपने विदेश और रक्षा समकक्षों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। हमें निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन की डिजिटल बैठक के माध्यम से प्राप्त मार्गदर्शन से लाभ हुआ है, जिसमें हम सभी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि 'टू प्लस टू' वार्ता प्रारूप का उद्देश्य भारत-अमेरिका साझेदारी के लिए एकीकृत दृष्टिकोण को और बढ़ावा देना है।
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(एजेंसी इनपुट के साथ)