- पत्नी से मां की अनबन थी तो बेटे ने वृद्धाश्रम में रह रही मां के शव घर ले जाने से भी किया इंकार
- पत्नी के खौफ से बेटे ने अंतिम संस्कार के समय मुग्नानि देने से किया इंकार
- मध्य प्रदेश के छतरपुर एक के वृद्धाश्रम में रह रही थीं 75 साल की फूलवती
नई दिल्ली: कहते है कि नाम दुनिया में पूत कपूत हो सकता है, लेकिन माता कभी कुमाता नहीं हो सकती। इस कहावत को मध्य प्रदेश के छतरपुर में एक बेटे ने सही साबित किया है। जिस मां ने अपने सारे कष्ट झेलकर बेटे को पाला-पोसा ताकि वो बुढ़ापे में उसका सहारा बन सके, उसी बेटे ने न केवल मां को वृद्धाश्रम भेज दिया बल्कि मां की मौत के बाद अंतिम संस्कार करने से भी इनकार कर दिया। तीन साल पहले इस कपूत ने अपनी 75 साल की बूढ़ी मां फूलवती चौरसिया को एक वृद्धाश्रम भेज दिया।
ये वहीं मां थी जिसने बेटे को अपने पति की असमय हुई मौत के बाद अनुकंपा पर शासकीय नौकरी भी दिलाई थी। फूलवती पिछले कई समय से बीमार थी और उसका इलाज भी चल रहा है। कुछ दिन पहले जब फूलवती की मौत हो गई तो वद्धा आश्रम वालों ने फूलवती चौरसिया के बेटे को मौत की खबर दी।
बेटा इतना निष्ठुर निकला कि मां का शव ले जाने तक के लिए उसने मना कर दिया। बेटे रामखिलावन का कहना था कि मां और पत्नी के बीच में अनबन थी इसलिए वह मां की लाश को घर नही ले जाना चाहता। इतना ही नहीं इस निष्ठुर बेटे रामखिलावन ने आगे जो बताया वो और भी हैरान कर देने वाला है।
रामखिलावन का कहना था पत्नी ने धमकी दी है कि मां को घर लाए या मुखाग्नि दी तो आत्महत्या कर लूंगी। इसके बाद वृद्धा आश्रम के लोगों ने अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया और अत्येष्टि की। हालांकि इस दौरान बेटा वहां मौजूद रहा लेकिन कर्मकांड से दूरी बनाए रखी। वद्धाआश्रम के लोगों कहना है कि जब वह फूलवती की मौत की सूचना देने बेटे के घर गए तो बहू उन्हें ही उल्टा-सीधा बोलने लगी। वहीं मृतका फूलवती की बेटी का रो-रोकर बुरा हाल है।