- तालिबान ने अपने मुल्क को आजाद करा लिया, दिक्कत क्या है: मुनव्वर राणा
- समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान ने भी की थी तालिबान की तारीफ
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी ने तालिबान के समर्थन में दिया था बयान
नई दिल्ली: तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) को अपने हाथों में ले लिया है। तालिबान को लेकर अफगान नागरिकों में किस तरह का खौफ है, इसका अंदाजा काबुल एयरपोर्ट से आ रही तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है। भारत में तालिबान को लेकर हो रही बयानबाजी रूकने का नाम नहीं ले रही है और अब इस कड़ी में मशहूर शायर और अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाने वाले मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) का नाम भी जुड़ गया है। मुनव्वर राणा ने एनबीटी को दिए इंटरव्यू में कहा कि तालिबान ने सही किया है।
किया तालिबान का समर्थन
मुनव्वर राणा ने कहा, 'तालिबान ने सही किया, अपनी जमीन पर कब्जा तो किसी भी तरह से किया जा सकता है।' जब राणा से पूछा गया कि तालिबान तो असलहों के दम पर कब्जा कर रहा है, तो राणा ने कहा, 'इसमें बहुत दूर तक जाना पड़ेगा, इसको हिंदुस्तानी होकर नहीं सोच सकते हैं। इसको उस हिंदुस्तानी बनकर सोचना चाहिए जो अंग्रेजों की गुलामी में था, जिन्होंने आजाद कराया था। तो उन्होंने भी अपने मुल्क को आजाद करा लिया है तो क्या दिक्कत है। इसमें हिंदुस्तान को परेशान होने की जरूरत क्या है। हिंदुस्तान का तो अफगानिस्तान हजारों साल से दोस्त रहा है। कभी अमेरिका अफगानिस्तान पर कब्जा करता है, कभी रूस परेशान करता है तो कभी ब्रिटेन, उनकी दुश्मनी ने तो इनसे है। हमारा उसमें क्या रोल है।'
नहीं कह सकते आतंकी
मुनव्वर राणा ने आगे कहा, 'तालिबान का जो रवैया है उन्हें आतंकवादी नहीं कह सकते हैं। हां उन्हें अग्रेसिव कहा जा सकता है। तालिबान अपने मुल्क के लिए लड़ रहे हैं तो आप उन्हें आतंकी कैसे कह सकते हैं? जो लोग अमेरिका और अशरफ गनी के साथ ऐश कर रहे थे वहीं भाग रहे हैं आम अफगानी क्यों भागेगा।'
सपा सांसद ने भी किया था तालिबान का समर्थन
आपको बता दें कि इससे पहले इससे पहले भारत में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी ने भी तालिबान के समर्थन में बयान दिया है। वहीं समाजवादी पार्टी के सांसद शफीक उर रहमान ने तालिबान का समर्थन करते हुए कहा था, 'हमारा देश जब अंग्रेजों के कब्जे में था तब सभी हिन्दुस्तानियों ने मिलकर आजादी की जंग लड़ी थी। अफगानिस्तान पर अमेरिका ने कब्जा कर रखा था। उससे पहले इस मुल्क पर रूस का कब्जा था। मगर अफगान आजाद रहना चाहते हैं। वह अपने देश को आजाद कराना चाहते हैं। यह उनका व्यक्तिगत मामला है, इसमें हम क्या दखल देंगे?' इसके बाद उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है।