जयपुर : राजस्थान में भारतीय ट्रायबल पार्टी (बीटीपी) ने राज्य की अशोक गहलोत सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। हालांकि, इससे गहलोत सरकार को कोई खतरा नहीं है। बीटीपी के दो विधायक हैं। इस साल की शुरुआत में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बीटीपी ने कांग्रेस का समर्थन किया जाता है। बीटीपी ने गहलोत सरकार से समर्थन वापसी का फैसला ऐसे समय किया है जब राज्य के पंचायत समिति एवं नगर परिषद के चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है।
पंचायत चुनावों में कांग्रेस को हुई है हार
बीटीपी के दोनों विधायकों ने आरोप लगाया कि पंचायत समिति के चुनावों के दौरान उनके उम्मीदवारों को कांग्रेस से समर्थन नहीं मिला।गत गुरुवार को 20 जिला परिषदों में 221 ग्राम पंचायतों में क्रमश: प्रमुख एवं प्रधान के पदों के लिए चुनाव हुए। 20 जिला परिषदों में 12 भाजपा, कांग्रेस के पांच और तीन निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए।
गहलोत सरकार का समर्थन करती आई है बीटीपी
गत अगस्त में डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने जब बागी तेवर अपनाया था तो उस समय बीटीपी के दोनों विधायकों ने अशोक गहलोत सरकार का समर्थन किया। बाद में गहलोत सरकार ने सदन में अपना बहुमत साबित कर दिया। बीटीपी के दोनों विधायक साल 2018 से गहलोत सरकार को अपना समर्थन देते आए हैं।
गहलोत सरकार को कोई खतरा नहीं
पंचायत चुनाव में 1833 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस को 1713 सीटों पर जीत मिली है। इन दोनों विधायकों के समर्थन वापस लिए जाने के बाद भी गहलोत सरकार पर अस्थिरता का कोई खतरा नहीं है। राज्य में विधानसभा की 200 सीटें हैं और गहलोत के पास 118 विधायकों का समर्थन है।