- भारत में नीट सूचकांक 29.53 फीसदी रहा है। जिसका सीधा मतलब है कि करीब 30 फीसदी युवा बेकार हैं।
- महिलाओं में नीट दर 47.04 फीसदी है। जबकि पुरूषों में यह 13.54 फीसदी है
- बंग्लादेश सहित चीन, अमेरिका ,जापान, ब्रिटेन की स्थिति भारत से बेहतर है।
नई दिल्ली: आज स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर पूरे देश में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आज भारत का युवा वैश्विक संपन्नता की इबारत लिख रहा है। नए भारत का यही मंत्र है कि जुट जाओ और जंग जीतो। लेकिन दुनिया की सबसे ज्यादा युवा आबादी वाले देशों में से एक , भारत का एक आंकड़ा नई चेतावनी दे रहा है। भारत में करीब 30 फीसदी युवा ऐसा है जो बेकार (Idle) हैं। यानी वह न तो शिक्षा ले रहा है, न प्रशिक्षण ले रहा है और न ही उसके पास रोजगार है। दुनिया में इस कैटेगरी को नीट यानी NEET (Not in Education, Employment or Training)कहा जाता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में भारत की स्थिति बंग्लादेश से भी खराब है और पाकिस्तान जैसी है। जहां तक अमेरिका, ब्रिटेन, चीन जैसे देशों से तुलना की बात है, तो भारत उनसे काफी पीछे हैं।
क्या कहती है रिपोर्ट
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में भारत में नीट दर 29.53 फीसदी रही है। जिसका सीधा मतलब है कि करीब 30 फीसदी युवा बेकार हैं। इसे अगर महिला और पुरूष के आधार पर देखा जाय तो यह स्थिति और गंभीर दिखती है। रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं में यह दर 47.04 फीसदी है। जबकि पुरूषों में यह दर 13.54 फीसदी है। देश में करीब 36 करोड़ आबादी है, जिसे युवा कैटेगरी में माना जाता है।
जबकि भारत की साक्षरता दर को देखा जाय तो वह करीब 77 फीसदी है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि साक्षरता दर 77 फीसदी होने के बावजूद युवाओं में नीट का स्तर 30 फीसदी क्यों है। इसकी एक सबसे बड़ी वजह, हमारी शिक्षा प्रणाली को बताया जाता है। जो कि रोजगार परक कम नजर आती है। अब केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति के जरिए इस समस्या को दूर करने का दावा कर रही है।
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विकसित देशों में क्या है स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार नीट दर में भारत की स्थिति बंग्लादेश से भी खराब है। 2017 में उसकी नीट दर 27.4 फीसदी पर थी। वहीं भारत का स्तर 2018 में 30 फीसदी से ज्यादा था। इसी तरह पाकिस्तान की स्थिति भारत के बराबर 30 फीसदी है। वहीं अमेरिका में यह 2017 में 13.8 फीसदी, ब्रिटेन में 10.3 फीसदी, रूस में 12.4 फीसदी, मलेशिया में 11.8 फीसदी, जापान में 3.3 फीसदी, जबकि 2019 में जर्मनी में 5.7 फीसदी है। जबकि ओईसीडी की रिपोर्ट के अनुसार चीन में यह 11 फीसदी करीब है। वहीं ब्राजील में यह 23.5 फीसदी है। जाहिर भारत की स्थिति विकसित और कई विकासशील देशों की तुलना में अच्छी नहीं है। और इस दिशा में तेजी से काम करना होगा।
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