- एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शिवसेना के मुखपत्र सामना को दिया इंटरव्यू
- पवार बोले- बीजेपी ने शिवसेना के साथ सही सलूक नहीं किया
- अगर विधानसभा चुनाव में शिवसेना साथ नहीं होती तो बीजेपी को मिलती 40-50 सीटें- पवार
नई दिल्ली: एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा किए गए कार्यों की तारीफ की है। शिवसेना के मुखपत्र सामना को दिए गए एक साक्षात्कार के दौरान शरवार ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने कोरोनोवायरस महामारी की वजह से जारी लॉकडाउन के दौरान सही समय पर और अपनी "सतर्क" कार्यशैली के दौरान लोगों की परेशानियों को कम किया। इस दौरान पवार ने कहा कि कोरोना हमारी दैनिक जिंदगी का एक हिस्सा बन रहा है, इस प्रकार की बात विशेषज्ञों द्वारा कही गई है। इसलिए अब हमें भी इसे स्वीकारना ही होगा।
उद्धव ठाकरे की की तारीफ
पवार ने उद्धव ठाकरे की तारीफ करते हुए कहा, 'निश्चित ही मुख्यमंत्री ठाकरे द्वारा लिया गया निर्णय कुछ लोगों को थोड़ी देर से लिया गया लगता होगा, लेकिन उन्होंने यह निर्णय सही समय पर लिया है। मुख्यमंत्री का जो स्वभाव है, यह निर्णय उस स्वभाव के अनुकूल ही है। अर्थात निर्णय लेना ही है परंतु बेहद सतर्कता के साथ। निर्णय लेने के बाद कुछ दुष्परिणाम न हो, यह जितना ज्यादा सुनिश्चित किया जा सके, उतना करने के बाद लेना चाहिए और फिर कदम आगे बढ़ाना चाहिए। एक बार कदम बढ़ाने के बाद पीछे नहीं लेना है, यह उनकी कार्यशैली है।'
शिवसेना की तारीफ
शिवसेना की तारीफ करते हुए पवार ने कहा कि शिवसेना के काम करने की विशिष्ट शैली है और वह कि कोई काम हाथ में लेने के बाद उसे दृढ़तापूर्वक पूरा करना। पवार ने कहा कि भाजपा के साथ रहकर शिवसेना ने भारी कीमत चुकाई। पवार ने कहा कि पिछले पांच साल के दौरान युति की सरकार थी लेकिन भाजपा ने शिवसेना को करीब-करीब किनारे कर दिया।
बीजेपी को खरी-खरी
बीजेपी को खरी-खरी सुनाते हुए शरद पवार ने कहा कि अगर विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ शिवसेना ना होती तो उसे 105 सीटें भी नहीं मिलती। पवार ने कहा, 'रा स्पष्ट मत है कि विधानसभा में उनके विधायकों का जो 105 फिगर हुआ, उसमें शिवसेना का योगदान बहुत बड़ा था। उसमें से तुमने शिवसेना को मायनस कर दिया होता, उसमें शामिल नहीं होती तो इस बार 105 का आंकड़ा तुम्हें कहीं तो 40-50 के करीब दिखा होता। भाजपा के लोग जो कहते हैं कि हमारे 105 होने के बावजूद हमें हमारी सहयोगी यानी शिवसेना ने नजरअंदाज किया अथवा सत्ता से दूर रखा।'