- कोटा से अपनी बेटी को लॉकडाउन के बीच बीजेपी विधायक ले गए थे पटना
- सीएम नीतीश कुमार ने योगी सरकार द्वारा बस भेजे जाने की मुखालफत की थी।
- बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी।
नई दिल्ली। राजस्थान के कोटा शहर की पहचान बताने की जरूरत नहीं है। यह शहर अपनी कामयाबी के लिए हर साल चर्चा में रहता है। इस समय भी चर्चा में है, लेकिन वजह कुछ और है। कोरोना की वजह से देश में लॉकडाउन है और उसकी वजह से हजारों छात्र कोटा में फंसे हैं। छात्रों की अपील पर यूपी सरकार की तरफ से 250 बसें भेजी गईं और सियासी हमला शुरू हो गया।
बीजेपी विधायक अनिल सिंह की दलील
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि यह तो लॉकडाउन के मकसद को फेल करने वाला है, केंद्र को दखल देना चाहिए। लेकिन उनके ही सहयोगी बीजेपी के विधायक ने अपनी बेटी को कोटा से लाने के लिए प्राइवेट कार भेज दी तो सियासत ने दूसरा रुख पकड़ लिया। अब इस विषय पर बीजेपी विधायक अनिल सिंह ने दलील दी है।
कोटा जाने में नियमों का हुआ पालन
विधायक अनिल सिंह कहते हैं कि उन्होंने वही किया जो एक पिता को करना चाहिए था। वो जनप्रतिनिधि होने के साथ साथ पिता भी हैं। एक बेटी के लिए जो बाप को करना चाहिए उस फर्ज को उन्होंने निभाया। उनकी बेटी कोटा में मेडिकल की तैयारी कर रही थी। वो अपने पीजी में किसी तरह की मुश्किल का सामना नहीं कर रही थी। लेकिन पीजी पूरी तरह से खाली हो चुका था और वो वहां अकेले थी।
बेवजह बनाया जा रहा है बखेड़ा
उन्होंने डीएम से बात की और कोटा से लाने के तरीके के बारे में पूछा। जिला प्रशासन के सामने अर्जी दी और इस तरह से ई पास जारी किया गया और ई पास के जरिए वो अपनी बेटी को कोटा से लाए। बीजेपी विधायक अनिल सिंह ने कहा कि नियमों के दायरे में ही रहकर वो अपनी बेटी को लाए। किसी तरह से कानून की अवहेलना नहीं हुई। वो खुद लॉकडाउन की मर्यादा को समझते हैं, और हर रोज हजारों की संख्या में जरूरतमंदों की मदद भी करते रहते हैं।