नई दिल्ली : नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञवाली अपनी तीन दिनों की यात्रा (14-16 जनवरी) पर दिल्ली आए थे। उनकी इस यात्रा के बाद उम्मीद की जा रही थी सीमा विवाद पर दोनों देशों के बीच रिश्तों में जो कड़वाहट आई है, वह दूर हो जाएगी और नई दिल्ली-काठमांडू के संबंध पटरी पर लौट आएंगे। हालांकि, इस यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ हुई। दोनों देशों के संबंधों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि जयशंकर और राजनाथ सिंह के साथ ज्ञवाली की औपचारिक मुलाकात थी। इसे बहुत महत्व नहीं दिया जाना चाहिए।
पीएम से होती विदेश मंत्रियों की मुलाकात
आम तौर पर भारत की यात्रा पर आने वाले विदेश मंत्री प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करते हैं लेकिन ज्ञवाली पीएम मोदी के साथ अपनी बैठक नहीं कर सके। इसे लेकर कई तरह की बातें की जा रही हैं। कहा जा हा है कि ज्ञवाली के साथ यदि पीएम मोदी की मुलाकात हो गई होती तो यह संदेश जाता कि करीब एक साल तक संबंधों में बनी खटास बहुत हद तक दूर हो गई है और रिश्ते वापस पटरी पर आ गए हैं। लेकिन नेपाल के विदेश मंत्री पीएम मोदी से मुलाकात नहीं कर पाए।
कोरोना टीके की आपूर्ति पर बनी बात
भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की बैठक में शरीक होने आए ज्ञवाली अपनी इस यात्रा से बहुत कुछ हासिल नहीं कर पाए, यह कहना ठीक नहीं है। उन्होंने जयशंकर के साथ द्विपक्षीय संबंधों के सभी आयामों पर चर्चा की और अपने देश के लिए सीरम के कोरोना टीके कोविशील्ड की आपूर्ति पर भारत का भरोसा लेने में सफल रहे। पीएम मोदी के साथ ज्ञवाली की मुलाकात न होने पर जानकारों का कहना है कि नेपाल में अभी राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है। कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने संसद भंग कर दी है। वहां कुछ महीनों में आम चुनाव होगा। चुनाव के बाद बनने वाली एक स्थिर सरकार के साथ ही एक सार्थक एवं गंभीर बातचीत का औचित्य बनता है। ऐसा हो सकता है कि इसी कारण पीएम मोदी की नेपाल के विदेश मंत्री के साथ मुलाकात न हुई हो।
दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर विवाद
दरअसल, गत मई में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख तक जाने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एक सड़क मार्ग का उद्घाटन किया। इस मार्ग पर नेपाल ने आपत्ति जताते हुए कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल कर लिया। भारत लंबे समय से इन क्षेत्रों का अपना इलाका मानता आया है। नक्शा विवाद, भारत-नेपाल सीमा पर गोलीबारी और पीएम केपी ओली के बयानों ने दोनों देशों को संबंधों में तल्खी लाने का काम किया। हालांकि, बाद में रॉ प्रमुख समंत गोयल, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और सेना प्रमुख एमएम नरवणे की यात्रा के बाद संबंधों में नरमी आने की शुरुआत आई। भारतीय अधिकारियों के दौरों ने भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की बैठक का रास्ता साफ किया।
भारत ने स्पष्ट की स्थिति
भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद का जहां तक सवाल है तो उस पर भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। नई दिल्ली ने नेपाल से अपने मानचित्र पर पहले स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। इसके बाद ही सीमा विवाद पर बातचीत आगे बढ़ेगी।