- क्या आपके फोन का डेटा लीक हो रहा है, देखिए एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
- Smart Phones से जिंदगी आसान तो हुई है, लेकिन खतरे भी बढ़ गए हैं
- आप किससे बात कर रहे हैं या किसे Message कर रहे है इसकी जानकारी भी हो रही है लीक
Operation Hello: मोबाइल और इंटरनेट बेस्ड स्मार्टफोन ऐप्स ने आपकी जिंदगी को जितना आसान बनाया है उतना ही आपकी निजी जिंदगी के लिए खतरा भी पैदा किया है। आप सोचेंगे कि आपके मोबाइल और उसमें डाउनलोड ऐप्स से आखिर आपकी निजी जिंदगी को क्या खतरा हो सकता है किन खतरा है और ये खतरा ऐसा है जिसके बारे में शायद ही किसी को पता चल पाता है। वरना कोई आपके मोबाइल पर होने वाली पर्सनल कॉल सुनता रहता है और आप बेखबर रहते हैं। क्योंकि आज आपके फोन को लेकर हम जो खुलासा करेंगे उसके बाद आप शायद अपने फोन पर होने वाली बातचीत को भी शक से देखने लगेंगे। आपको लगेगा कि कहीं आपकी बातचीत कोई सुन तो नहीं रहा।
ऐसे होती है जासूसी
नाम के एक शख्स ने Y नाम के अपने दोस्त को फोन कॉल किया दोनों दोस्तों के बीच एक खास चीज को लेकर पर्सनल बातचीत हुई। इसके बाद जो हुआ उसने X को हैरान कर दिया क्योंकि जिस चीज के बारे में X ने अपने दोस्त Y के साथ एक पर्सनल कॉल में बात की, उसे अपने स्मार्ट फोन पर उस चीज के ही ऐड दिखाई देने लगे। अब सवाल ये कि ये कैसे मुमकिन हुआ ? क्या मोबाइल ऐप्स ने बातचीत को ट्रैक किया ? क्या X का मोबाइल फोन हैक हो गया ? या फिर X का पर्सनल डेटा लीक हुआ ?
सर्वे में चौंकाने वाले नतीजे
WhatsApp Pink के नाम से किसी भी लिंक पर क्लिक न करें, हैक हो सकता है आपका मोबाइल फोन
इन्हीं सब सवालों के जवाब तलाशने के लिए टाइम्स नाउ नवभारत के सहयोगी अखबार नवभारत टाइम्स ने एक सर्वे किया। इस सर्वे के जो नतीजे निकलकर सामने आए वो हैरान और थोड़ा परेशान कर देने वाले हैं। सर्वे में सवाल पूछा गया कि बीते 12 महीने में क्या कभी ऐसा हुआ कि पर्सनल बातचीत में जिस चीज की चर्चा हुई, उसी से जुड़े ऐड दिखे ? तो लोगों के जवाब इस तरह से थे-
- 28 फीसदी लोगों ने कहा कि हां, हमेशा ऐसा होता है
- 19 फीसदी ने कहा ऐसा कई बार हो चुका
- 6 फीसदी लोग ये कहने वाले थे कि कुछ बार ही ऐसा हुआ
- 24 फीसदी लोग ऐसे भी थे जिनके साथ ऐसा कभी नहीं हुआ
- जबकि 23 फीसदी लोग इस बारे में कुछ नहीं कह सके
लोग खुद दे रहे हैं इजाजत!
सर्वे के कुल 38 हजार जवाब मिले।.सर्वे में हर दूसरे शख्स का यही मानना था कि उन्हें ऐसे ऐड दिखाई दिए जो उनकी निजी बातचीत से जुड़े थे। गौर करने वाली बात ये भी है कि इनमें से ज्यादातर ने सोशल मीडिया और ऑडियो रिकॉर्डिंग ऐप्स को ऑडियो-वीडियो कॉल्स के लिए अपने फोन के माइक तक पहुंच दी थी। 84 फीसदी यूजर्स ने वॉट्स ऐप को अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट खंगालने की परमिशन दी थी। 51 फीसदी ने फेसबुक या इंस्टाग्राम दोनों को ये छूट दी थी जबकि 41 फीसदी यूजर ऐसे थे जिन्होंने ट्रू कॉलर को इजाजत दी थी।
सर्वे के नतीजों से इतना साफ है कि सोशल मीडिया समेत ज्यादातर मोबाइल ऐप्स जो आप अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड करते हैं उनसे आपके डेटा पर सेंध का खतरा मंडराता रहता है यानी आपकी जानकारी लीक होने का डर बना रहता है।जरूरी है कि जब भी आप किसी ऐप को अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट के लिए अलाउ करें तो सोच-समझकर करें।
फेक कस्टमर केयर पर कॉल करना पड़ा भारी, मोबाइल का लिया एक्सेस और निकाल लिए 75000 रुपए