- बिहार चुनाव में ओवैसी की एंट्री, कुछ के लिए फायदा तो कुछ के लिए नुकसान
- राजद के मुस्लिम-यादव परंपरागत वोट बैंक में ओवैसी सेंध लगाने को हैं तैयार
- NDA गठबंधन के लिए भी चुनौती बनकर उभरे हैं ओवैसी
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री हुई है। बिहार की जनता को लुभाने के लिए और बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति का फायदा उठाने का ओवैसी के पास सबसे अच्छा मौका है। ये ऐसा वक्त है जब बिहार में महा-गठबंधन नाम का कुछ नहीं रहा। शीशे की तरह राजनीतिक स्थिति साफ दिख रही है। इसे भुनाने के लिए ओवैसी ने समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठजोड़ किया है। ओवैसी के बिहार विधानसभा चुनाव में एंट्री लेने से क्या NDA की राजनीति से होगी एग्जिट? जेल में बंद लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक यात्रा यहीं हो जाएगी खत्म या फिर कैसा बनेगा चुनावी माहौल और किसके सर होगा राजतिलक, ये सब ओवैसी की एंट्री से बड़ा दिलचस्प हो गया है।
ओवैसी, समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक और LJP !!
NDA से लोक जनशक्ति पार्टी का चल रहा मनमुटाव कहीं बिहर विधानसभा चुनाव में जनता के सामने एक नया ही राजनीतिक गठबंधन तैयार न कर दे। बिहार विधानसभा चुनाव में एंट्री लेने वाले असद्दुदीन ओवैसी ने देवेंद्र प्रसाद यादव की समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक से गठबंधन कर लिया है। उधर रामविलास पासवान अस्पताल में भर्ती हैं और उनके बेटे और पार्टी के अध्यक्ष ही अब हर फैसला ले रहे हैं। ऐसे में मुमकिन है कि बिहार की जनता को इस तिकड़ी के रूप में नया गठबंधन मिल जाए।
क्या ओवैसी की एंट्री से संभल जाएगा NDA गठबंधन ?
एक बात तो तय है कि ओवैसी के बिहार चुनाव में एंट्री लेने से NDA को झटका तो जरूर लगा है। NDA के खेमे में चल रही हलचल या तो नया रुख के सकती है या फिर संभल सकती है। गठबंधन में चल रहे तनाव को ओवैसी के आने से एक नई दिशा मिलेगी। या तो गठबंधन आपसी मतभेद को भुलाकर एकजुट होकर चुनाव लेड़गा या फिर बिहार में नया समीकरण मिलेगा।
मजबूत दिख रहा है ओवैसी और यादव गठबंधन
देवेंद्र यादव के साथ गठबंधन करके ओवैसी बिहार में यादव वोट के साथ मुस्लिम बाहुल्य इलाकों पर अपना कब्जा जमा सकते हैं। वैसे अभी तक बिहार के मुस्लिम वोटर्स RJD को अपना समर्थन देते आए हैं, लेकिन ओवैसी की एंट्री से आरजेडी के वोट बैंक में सेंध लग सकती है। वैसे भी बीते कुछ सालों से बिहार के सीमांचल क्षेत्र में ओवैसी की पार्टी काफी सक्रिय है। ऐसा भी माना जा रहा है कि किशनगंज और कटिहार में राजद को ओवैसी बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं। राजद के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी तैयारी में है ओवैसी की पार्टी।
आरजेडी पर निशाना कहीं NDA में शामिल होने का इशारा तो नहीं
लोकसभा का चुनाव हो या फिर प्रदेशों की विधान सभा का। न जानें क्यों चुनाव से पहले ओवैसी का स्टैंड हमेशा ही क्लियर नहीं रहता। वो कहते कुछ हैं और करते कुछ और हैं। एक तरफ तो ओवैसी राजनीति में बीजेपी का कट्टर विरोध करते हैं तो दूसरी तरफ वो जिस राज्य में चुनाव लड़ने की बात करते हैं वहां उसी की प्रतिद्वंदी का विरोध करके अपने ही वोटर्स को भ्रम में डाल देते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में लड़ने को तैयार ओवैसी ने जमकर आरजेडी पर निशाना साधा। आरजेडी द्वारा राज्य में भाव न मिलने पर अससुद्दीन ओवैसी ने राजद को खूब खरी-खोटी सुनाई।
इतना तो तय है कि ओवैसी के आने से बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कुछ नया देखने को मिलेगा। किसी के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगेगी तो कोई अपने सहयोगी दल को बचाने की कवायद में जुटेगा।