- वसूली केस में आया नया मोड़, पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने जांच आयोग को दिया हलफनामा
- अनिल देशमुख के खिलाफ आरोपों पर साझा करने के लिए कोई और साक्ष्य नहीं : परमबीर सिंह
- महाराष्ट्र सरकार ने इस साल मार्च में देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों की जांच के लिए गठित किया था आयोग
मुंबई: महाराष्ट्र में 100 करोड़ की वसूली मामले में अब अचानक नया मोड़ आ गया है। इस मामले की जांच के लिए गठित चांदीवाल आयोग को एक एफिडेविट दिया गया है। ये एफिडेविट मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की ओर से भेजा गया है, जिसे उनके वकील ने आयोग को दिया है। इस एफिडेविट में परमबीर सिंह ने बताया कि उनके पास महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
अभी तक पैनल के सामने पेश नहीं हुए परमबीर
महाराष्ट्र सरकार ने इस साल मार्च में देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल के एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। आयोग ने सिंह को अनेक समन जारी किये लेकिन अब तक वह उसके समक्ष पेश नहीं हुए हैं। आयोग ने उनके खिलाफ एक जमानती वारंट भी जारी किया। आयोग ने पेश नहीं होने पर सिंह पर तीन बार जुर्माना लगाया है जिसमें जून में 5,000 रुपये और दो अन्य मौकों पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना शामिल है।
अनिल देशमुख को ईडी कर चुकी है गिरफ्तार
अनिल देशमुख को वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 3 दिन पहले ही ED ने गिरफ्तार किया था। उनसे तकरीबन 12 घंटे तक ED ने सवाल जवाब किए थे और फिर अरेस्ट कर लिया। अभी वो 6 नवंबर तक ED की कस्टडी में हैं। वहीं परमबीर सिंह वसूली मामले में भगोड़े घोषित हैं और उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया जा चुका है। आपको बता दें कि परमबीर सिंह ने ही गृहमंत्री अनिल देशमुख पर वसूली का आरोप लगाया था और इसकी वजह से उनकी कुर्सी चली गई थी। देशमुख ने अपने खिलाफ आरोपों को बार-बार खारिज किया है। परमबीर सिंह द्वारा देशमुख पर लगाए गए आरोपों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहे हैं।