- हरिद्वार में एक बड़ा ही अजीबोगरीब मामला आया सामने
- बेटे और बहू को बच्चा पैदा करने के लिए दबाव बनाते हुए पेरैंट्स ने किया मुकदमा
- मुआवजे के रूप में 5 करोड़ रुपए की मांग की गई
हरिद्वार: उत्तराखंड से एक विचित्र मामला सामने आया है जहां एक पिता ने अपने बेटे औऱ बहू के खिलाफ केस दिया है वो भी पोते की मांग के लिए। मामला हरिद्वार का है जहां एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ भेल अधिकारी और उनकी पत्नी ने गुवाहाटी में रहने वाले अपने पायलट बेटे और नोएडा में जॉब करने वाली बहू पर "मानसिक उत्पीड़न" के आधार पर मुकदमा दायर किया है। शख्स का कहना है कि उनका बेटा और बहू शादी के छह साल के बाद भी उन्हें पोता देने में विफल रहे हैं। बुजुर्ग दंपति ने एक साल के भीतर या तो पोता अथवा पोती पैदा करके दें या फिर 5 करोड़ रुपये दें, जो उन्होंने अपने बेटे की "पालन और शिक्षा" पर खर्च किया था।
बेटे की शादी पर खर्च किया इतना पैसा
दंपति के वकील अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि इस राशि में पांच सितारा होटल में बेटे की शादी पर खर्च हुए पैसे और उपहार में दी गई 60 लाख रुपये की लग्जरी कार तथा विदेश में हनीमून पर खर्च किया गया पैसा भी शामिल है। याचिका को शनिवार को हरिद्वार की एक स्थानीय अदालत ने स्वीकार कर लिया और 15 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
ट्रेनिंग के लिए भेजा था अमेरिका
61 वर्षीय पिता एस आर प्रसाद ने कहा, 'एक ही लड़का है मेरा। मैंने अपनी सारी बचत उसकी परवरिश और शिक्षा पर खर्च कर दी। मैंने उसे 2006 में एक पायलट ट्रेनिंग कोर्स के लिए अमेरिका भेजा था। मैंने इसके लिए 50 लाख रुपये से अधिक खर्च किए। वह 2007 में विदेश में आर्थिक मंदी के चलते भारत लौटे आया और उसने अपनी नौकरी खो दी थी। इस दौरान दो साल से अधिक समय तक जब उसे दूसरी नौकरी नहीं मिली तो मैंने ही उनका आर्थिक रूप से समर्थन किया।'
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प्रसाद ने आगे बताया, 'बेटे को जल्द ही एक निजी एयरलाइन में एक पायलट के रूप में नौकरी मिल गई, जिसके बाद हमने उनकी शादी करने का फैसला किया क्योंकि मेरी 57 वर्षीय पत्नी अक्सर अस्वस्थ रहती हैं। हमने आखिरकार 2016 में उनकी शादी इस उम्मीद के साथ कर दी कि हमें अपनी रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी में खेलने के लिए एक पोता या पोती मिलेगा। हालांकि, लगभग छह साल बीत चुके हैं लेकिन कोई बच्चा नहीं हुआ है। हम अत्यधिक मानसिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं।'
हो रहा है मानसिक उत्पीड़न
पिता ने टीओआई को बताया, 'मेरा बेटा और बहू अपनी नौकरी के कारण दो अलग-अलग शहरों में रह रहे हैं, जिससे हमें बहुत दर्द हो रहा है। हमने अपनी बहू के साथ अपनी बेटी की तरह व्यवहार किया। इसके बावजूद, वह शायद ही कभी साथ रहती है। हम, हमारे कष्टों की अनदेखी करते गए। हमने उसे यह भी बताया कि अगर उसे अपनी नौकरी के कारण बच्चे की देखभाल करने की चिंता है, तो वह हमें बच्चा दे सकती है ताकि हम उसके पालन-पोषण की देखभाल कर सकें। हमारे पास शायद ही कोई बचा हो पैसा इसलिए क्योंकि हमने अपना सब कुछ अपने बेटे पर खर्च कर दिया।'
रिटायर दंपति का कहना है कि उन्हें घर बनाने के लिए भी बैंक से लोन लेना पड़ रहा है जिस वजह से उनका आर्थिक बोझ गया है। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी याचिका में अपने बेटे और बहू दोनों में हर एक से ही 2.5 करोड़ की रकम की मांग की है। प्रसाद के अनुसार वह पोता और पोती में किसी तरह का भेद नहीं करते हैं, उन्हें बस अपने घर में एक नया मेहमान चाहिए।
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