- राज्यसभा ने अपने चार सांसदों को दी विदाई, गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल समाप्त हुआ
- विदाई भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने गुलाम नबी आजाद का खास जिक्र किया
- गुलाम नबी आजाद का जिक्र करते हुए पीएम कई बार हुए भावुक
नई दिल्ली। राज्यभा के चार सांसदों की विदाई के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी कई बार भावुक हुए और उनकी आंखे डबडबा गईं। पीएम मोदी खासतौर से नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के योगदान पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भले ही नीतिगत मुद्दों पर या सरकार के तौर पर वो हमारी नीतियों में खामी निकालते रहे हों पर सच यह भी है कि उन्होंने कई बड़े सुझाव दिए। एक खास प्रसंग का जिक्र करते हुए कि किस तरह से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उन्होंने कहा कि मोदी जी आप जो कुछ कर रहे हैं वो सब ठीक है लेकिन उन्हें ऐसा लगता है कि सभी दलों की एक साझा बैठक करनी चाहिए। उनके सुझाव को ना सिर्फ उन्होंने माना बल्कि अमल किया।
जम्मू-कश्मीर की एक घटना का किया जिक्र
राज्यसभा में पीएम नरेंद्र मोदी जब भावुक हुए तो वो जम्मू-कश्मीर की इस आतंकी घटना जिक्र कर रहे जिसमें गुजरात के कुछ लोग शिकार हो गए थे। पीएम ने कहा कि जब गुलाम नबी आजाद साहब ने उन्हें फोन किया तो उनके आंवाज में कंपकपाहट थी उनके आंखों में आंसू थे। जुबां से शब्द लड़खड़ा रहे थे। यह सब सुनना खुद उनके लिए भावुक पल थे। चुंकि आतंकी हमला रात में हुई थी को मैंने तत्तकालीन रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी का फोन किया कि अगर डेड बॉडी के लिए प्लेन मिल जाता तो अच्छी बात होती। रक्षा मंत्री ने उन्हें भरोसा भी दिया।
गुलाम नबी आजाद के मानवीय पक्ष का जिक्र
इन सबके बीच घटना वाली रात ही एक बार फिर गुलाम नबी आजाद जी का फोन आया और उस वक्त वो जम्मू-कश्मीर एयरपोर्ट पर थे। जिस तरह से कोई शख्स अपने परिवार के किसी सदस्य को अंतिम विदाई देता है ठीक वैसे ही उन्होंने गुजरात के मारे गए लोगों को दिया था। उस पल को जब वो याद करते हैं तो महसूस करते हैं कि राजनीतिक प्रतिद्वंदिता से इतर उनका दिल मानवीय संवेदना से भरा हुआ था।
गुलाम नबी आजाद का अमूल्य योगदान
पीएम मोदी ने कहा कि एक मित्र के रूप में वो गुलाम नबी आजाद जी का आदर करता हूं। वो सदन में रहें या ना रहें उनके लिए दरवाजे हमेशा खुले हैं। इसके साथ ही यह भी कहा कि जिस तरह से उन्होंने अपने अनुभव के जरिए देश के कायाकल्प में योगदान दिया, ठीक उसी तरह की भूमिका वो निभाते रहेंगे। इसके साथ यह भी कहा कि उन्होंने कोई भी काम सिर्फ सरकारी नजरिए के हिसाब से नहीं किया बल्कि अपना समझ कर किया।