- पीएम नरेंद्र मोदी ने लोगों से पांच अप्रैल को रात 9 बजे मांगे 9 मिनट
- कोरोना के संकट से निपटने में देश जिस तरह सहयोग दे रहा है अभूतपूर्व-पीएम मोदी
- देश में अब तक कोरोना के कुल 2183 मामले सामने आए
नई दिल्ली। पिछले 14 दिन में पीएम मोदी कोरोना के मुद्दे पर दो बार देश को संबोधित, एक बार मन की बात और शुक्रवार को वीडियो संदेश के जरिए रूबरू हुए। 19 मार्च को उन्होंने कहा कि 22 मार्च को लोग खुद जनता कर्फ्यू का पालन करें और कोरोना के कर्मवीरों के लिए पांच मिनट तक थाली या घंटी बजाएं। उन्होंने कहा कि वो समझते हैं कि कोरोना की वजह से गरीब और गुर्बा को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और उनके लिए हम सबको आगे आना होगा।
पीएम ने एक बार फिर की अपील
देश को जब वो दूसरी बार संबोधित कर रहे थे तो बोले कि कोरोना के संकट से निपटने के लिए हमें 21 दिन के लॉकडाउन पर आगे बढ़ना होगा। वो जानते हैं कि इस तरह के कदम से खासतौपर समाज के किन तबकों पर सबसे ज्यादा प्रभाव होगा। सरकार उनकी चिंता को समझते हुए साथ खड़ी है। लेकिन लॉकडाउन के शुरुआती कुछ दिनों में इस तरह की तस्वीरें सामने आने लगीं जो भयावह थी। लोग पैदल ही अपने अपने घरों के लिए लंबी दूरी तय कर रहे थे। वो तस्वीरें अपने आप में हृदय विदारक थी। बड़ी बात ये है कि जब पीएम मन की बात में लोगों से रूबरू हो रहे थे उनका यह कहना कि वो देश के उन लोगों से माफी मांगते हैं जो कष्ट का सामना कर रहे हैं।
पीएम मोदी जब वीडियो संदेश के जरिए अपनी बात रख रहे थे तो इन कुछ खास लाइनों पर ध्यान जाता है।
हमारे यहां कहा गया है उत्साहो बलवान् आर्य, न अस्ति उत्साह परम् बलम्। स उत्साहस्य लोकेषु, न किंचित् अपि दुर्लभम्॥ यानि, हमारे उत्साह, हमारी spirit से बड़ी force दुनिया में कोई दूसरी नहीं है:उस प्रकाश में, उस रोशनी में, उस उजाले में, हम अपने मन में ये संकल्प करें कि हम अकेले नहीं हैं, कोई भी अकेला नहीं है !!! 130 करोड़ देशवासी, एक ही संकल्प के साथ कृतसंकल्प हैं: हमारे यहां माना जाता है कि जनता जनार्दन, ईश्वर का ही रूप होती है। इसलिए जब देश इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रहा हो, तो ऐसी लड़ाई में बार-बार जनता रूपी महाशक्ति का साक्षात्कार करते रहना चाहिए।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि जिस तरह से पूरी दुनिया कोरोना का सामना कर रही है उसमें एक बात साफ है अमेरिका जैसे साधन संपन्न देश का कहना है कि वो इस महामारी से सिर्फ साइंटिफिक तरीकों से ही नहीं निपट सकता है, बल्कि इसके लिए सामाजिक जिम्मेदारी को निभाना पड़ेगा। अगर भारत की बात करें तो इस हकीकत से इनकार कैसे किया जा सकता है कि यहां प्रचूर मात्रा में संसाधन उपलब्ध हैं। पीएम वास्तविकता को समझते हैं लिहाजा वो बार बार कहते हैं कि टेस्टिंग ट्रेसिंग और सर्चिंग का अहम रोल है। अगर देश की 130 करोड़ जनता को अहसास हो गया है कि कोरोना के खिलाफ उनकी लड़ाई खुद की है तो उससे निपटने में मदद मिलेगी।