नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भ्रष्टाचार का वंशवाद ना सिर्फ एक बड़ी चुनौती है बल्कि वह कई राज्यों में राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बन गया है जो देश को दीमक की तरह खोखला करता है। प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सतर्कता एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में देशवासियों से अपील की कि वे भारत बनाम भ्रष्टाचार की लड़ाई में देश का साथ दें और समृद्ध व आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहयोग करें।
उन्होंने कहा, 'आज मैं आपके सामने एक और बड़ी चुनौती का जिक्र करने जा रहा हूं। ये चुनौती बीते दशकों में धीरे-धीरे बढ़ते हुए अब देश के सामने एक विकराल रूप ले चुकी है। ये चुनौती है- भ्रष्टाचार का वंशवाद। यानी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर हुआ भ्रष्टाचार।' किसी राजनीतिक दल या परिवार का नाम लिए बगैर मोदी ने कहा कि बीते दशकों में देश ने देखा है कि जब भ्रष्टाचार करने वाली एक पीढ़ी को उचित सजा नहीं मिलती तो दूसरी पीढ़ी और ज्यादा ताकत के साथ भ्रष्टाचार करती है।
उन्होंने कहा, 'उसे दिखता है कि जब घर में ही करोड़ों रुपए कालाधन कमाने वाले का कुछ नहीं हुआ या थोड़ी सी सजा पाकर छूट गया तो उसका हौसला और बढ़ जाता है। इस वजह से कई राज्यों में तो ये राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बन गया है। पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार का ये वंशवाद, देश को दीमक की तरह खोखला कर देता है।' भ्रष्टाचार को देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समृद्ध भारत के सामने और आत्मनिर्भर भारत के सामने बहुत बड़ी रुकावट है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक भी मामले में ढिलाई उसी मामले तक सीमित नहीं रहती बल्कि वो एक भविष्य के भ्रष्टाचार के लिए नींव बनाती है।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ तनिक भी सहन नहीं करने की नीति पर आगे बढ़ रही है और इसी के मद्देनजर 2014 से अब तक देश की प्रशासनिक व्यवस्था, बैंकिंग प्रणाली, कृषि, स्वास्थ्य व शिक्षा सहित अन्य कई क्षेत्रों में व्यापक सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरा दौर बड़े सुधारों का रहा है। इन सुधारों को आधार बनाकर आज भारत आत्मनिर्भर भारत के अभियान को सफल बनाने में पूरी शक्ति के साथ जुटा हुआ है। हम भारत को दुनिया के अग्रिम पंक्ति के देशों में लेकर जाए यह जरूरी है। हमारा इस बात पर ज्यादा जोर है कि सरकार का न ज्यादा दबाव हो और न सरकार का अभाव हो। सरकार की जहां जितनी जरूरत है, उतनी ही होनी चाहिए। इसलिए बीते वर्षों में डेढ हजार से कानून खत्म किए गए हैं। अनेक नियमों को सरल किया गया है।
प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को प्रशासनिक व्यवस्थाओं का सबसे बड़ा शत्रु बताया ओर कहा कि भ्रष्टाचार केवल कुछ रुपयों की ही बात नहीं होती, एक तरफ वह जहां देश के विकास को ठेस पहुंचाता है वहीं सामाजिक संतुलन को तहस-नहस कर देता है। उन्होंने कहा, 'देश की व्यवस्था पर जो भरोसा होना चाहिए, एक अपनेपन का जो भाव होना चाहिए, भ्रष्टाचार उस भरोसे पर हमला करता है। भ्रष्टाचार पर डटकर मुकाबला करना एजेंसी या संस्था का दायित्व नहीं है सिर्फ बल्कि इससे निपटना एक सामूहिक जिम्मेदारी है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले देश में अलग ही अलग ही परिस्थितियां थीं। हजारों करोड़ के घोटाले, फर्जी कंपनियों का जाल, टैक्स चोरी यह सब वर्षों तक चर्चा के केंद्र में रहे लेकिन उसके बाद देश ने बड़े परिवर्तन का फैसला लिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से गरीबों की मिलने वाला लाभ 100 प्रतिशत गरीबों तक सीधे पहुंच रहा है। अकेले इसकी वजह से 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बच रहे हैं। उन्होंने कहा, 'आज ये गर्व के साथ कहा जा सकता है कि घोटालों वाले उस दौर को देश पीछे छोड़ चुका है।' इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सभी देशवासियों से अपील की कि वे भारत बनाम भ्रष्टाचार की लड़ाई में हमेशा की तरह भारत को मजबूत करते रहें।